
इस्तेमाल किए हुए इन साबुनों के साथ होटल वाले करते हैं कुछ ऐसा काम, सुनकर रह जाएंगे हैरान
नई दिल्ली। एक शहर से दूसरे शहर और एक देश से दूसरे देश में लोगों का आना-जाना लगा ही रहता है। कभी घूमने के लिए तो कभी किसी काम के चलते हमें एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करनी पड़ती है। अनजान जगह पर जाकर हम ठहरने के लिए किसी होटल में चेक इन करते हैं। होटल्स में अपने गेस्ट को कई तरह की सुविधा प्रदान की जाती है।
होटल्स में अकसर हमने ये देखा है कि डेली हाइजिन को ध्यान में रखते हुए हैंड वॉश,बाथ सोप इत्यादि लोगों को उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर गौर फरमाया है कि जब दो या एक दिन ठहरकर मेहमान चेक आउट कर देते हैं तो इन साबुन और हैंड वॉश या शैम्पू का क्या होता होगा? क्या इन्हें फेंक दिया जाता है? आइए हम इस बारे में आपको पूरी जानकारी देते है।
बता दें अकेले यूएस में ही होटल्स में 4.6 मिलियन कमरे हैं। इनमें ठहरने वाले मेहमानों के लिए पूरे साबुन का इस्तेमाल करना संभव नहीं होता होगा। बचे हुए साबुन, शैम्पू के कंटेनर्स को बर्बादी से बचाने के लिए उनका दोबारा इस्तेमाल किया जाता है।
जी हां, दरअसल ‘क्लीन द वर्ल्ड ‘ नामक एक संस्था ने इन चीजों की बर्बादी को बचाने के लिए ‘ग्लोबल सोप प्रोजक्ट’ के तहत एक मुहिम चला रही है।
इसके तहत इस्तेमाल किए गए साबुन को नया साबुन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें विकासशील देशों के लिए बनाया जाता है। इस तरह से रिसाइक्लिंग के जरिए चीजों को बर्बाद होने से बचाया जाता है।
बता दें केवल कमरे के साबुन इत्यादि को रिसाईकल करने में महीने का खर्च लगभग 75 सेंट्स आता है।रिसाइक्लिंग में बचे हुए साबुन, बॉडी वॉश, शैम्पू, कंडीश्नर इत्यादि को पहले साफ कर उन्हें कीटाणुरहित बनाया जाता है। इसके बाद इनकी शुद्धता की जांच की जाती है। तत्पश्चात इन चीजों को दूसरे लोगों के प्रयोग के लिए भेजा जाता है।
इस मुहिम की जरूरत उन जगहों में बहुत ज्यादा है जहां साफ पानी, सफाई और सैनिटेशन की सुविधाओं का अभाव है। जिसके चलते यहां लोग बड़ी संख्या में निमोनिया,डायरिया जैसी बीमारियों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। साबुन के प्रयोग से इनमें स्वच्छता को बढ़ावा दिया जा सकता है।
हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है कि सारे होटल्स ऐसा ही करते हों क्योंकि कुछ इस्तेमाल की गई टॉयलेटरीज़ को स्थानीय गरीबों, बेसहारा महिलाओं और कम्युनिटी सपोर्ट नेटवर्क को दान कर देते हैं।कुछ होटल्स इन्हें लोकल सैल्वेशन आर्मी,लोकल क्लीनिक और अनाथों में दान कर देते हैं।
होटलों की इस श्रेणी में कुछ ऐसे भी हैं जो पैसे बचाने के चक्कर में इन्हें रिफिल कर देती हैं। इससे होटल में ठहरने वाले लोगों के स्वास्थ्य को खतरा पहुंच सकता है।
Published on:
15 Jun 2018 08:14 am
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