लिंगायत समुदाय को दोबारा बांटने की कोशिश न करें, सरकार को दी चेतावनी
श्रीशैलम पीठ के चन्नासिद्धाराम पंडितराध्य शिवाचार्य स्वामी ने राज्य सरकार को चेतावनी दी कि उसे वीरशैव-लिंगायत समुदाय को विभाजित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। यहां एमबीए कॉलेज ग्राउंड में 24वें अखिल-भारत वीरशैव महासभा के दो दिवसीय विशाल सम्मेलन में संत ने कहा, सरकार ने कुछ साल पहले यह कहते हुए समुदाय को विभाजित करने की कोशिश की थी कि लिंगायत और वीरशैव एक जैसे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें बाद में चुनावों में परिणाम भुगतना पड़ा। पिछली जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, न्यायमूर्ति चिन्नाप्पा रेड्डी आयोग ने 1990 में जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिसके अनुसार वीरशैव-लिंगायत समुदाय तब राज्य की 17 फीसदी आबादी थी। हालांकि, हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि समुदाय की जनसंख्या 10.68 फीदी है। 35 साल बाद यह 17 फीसदी से घटकर 10.68 फीसदी पर आ गई। इसलिए, समुदाय को यह सोचने की ज़रूरत है कि क्या हमें इसे स्वीकार करने या अस्वीकार करने की ज़रूरत है।
दो करोड़ समुदाय के लोग
उन्होंने बताया कि राज्य में इस समुदाय के लगभग 2 करोड़ लोग हैं। उन्होंने कहा, इसलिए, समुदाय के नेताओं ने सरकार से 2015 में किए गए जाति सर्वेक्षण को खारिज करने और राज्य में जातियों का नए सिरे से सर्वेक्षण करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा, समुदाय के सभी उप-संप्रदायों को ओबीसी की केंद्रीय सूची में जोड़ा जाना चाहिए। राज्य सरकार को इसकी अनुशंसा करनी चाहिए और केंद्र को इसे मंजूरी देनी चाहिए।