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100 साल पूरे कर रहा कॉफी अनुसंधान संस्थान, तीन दिवसीय शताब्दी सम्मेलन में तकनीक, गुणवत्ता और ब्रांडिंग पर गहन चर्चा

बालेहोन्नूर स्थित केंद्रीय कॉफी अनुसंधान संस्थान इस वर्ष अपने गौरवशाली 100 वर्ष पूरे कर रहा है। इस अवसर पर कॉफी बोर्ड ने 20 से 22 दिसंबर तक तीन दिवसीय भव्य शताब्दी सम्मेलन आयोजित करने की घोषणा की है। कॉफी बोर्ड के अध्यक्ष दिनेश देववृंदा ने बताया कि सम्मेलन में कॉफी उद्योग की चुनौतियों, अनुसंधान, नई तकनीकों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ब्रांडिंग जैसे मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। यह संस्थान 1925 में तत्कालीन मैसूर के महाराजा द्वारा स्थापित किया गया था और तब से वैश्विक कॉफी अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान देता रहा है। चिकमगलूरु जिले को कॉफी खेती के दो जीआई टैग मिलने से इस सम्मेलन का महत्व और बढ़ गया है। कार्यक्रम में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, राज्य मंत्री जितेंद्र प्रसाद, राज्य के मंत्री के. जे. जॉर्ज, ईश्वर बी. खंड्रे और देशभर के विशेषज्ञ शामिल होंगे।

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कॉफी अनुसंधान संस्थान

कॉफी अनुसंधान संस्थान

बालेहोन्नूर स्थित केंद्रीय कॉफी अनुसंधान संस्थान इस वर्ष अपने गौरवशाली 100 वर्ष पूरे कर रहा है। इस अवसर पर कॉफी बोर्ड ने 20 से 22 दिसंबर तक तीन दिवसीय भव्य शताब्दी सम्मेलन आयोजित करने की घोषणा की है। कॉफी बोर्ड के अध्यक्ष दिनेश देववृंदा ने बताया कि सम्मेलन में कॉफी उद्योग की चुनौतियों, अनुसंधान, नई तकनीकों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ब्रांडिंग जैसे मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। यह संस्थान 1925 में तत्कालीन मैसूर के महाराजा द्वारा स्थापित किया गया था और तब से वैश्विक कॉफी अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान देता रहा है। चिकमगलूरु जिले को कॉफी खेती के दो जीआई टैग मिलने से इस सम्मेलन का महत्व और बढ़ गया है। कार्यक्रम में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, राज्य मंत्री जितेंद्र प्रसाद, राज्य के मंत्री के. जे. जॉर्ज, ईश्वर बी. खंड्रे और देशभर के विशेषज्ञ शामिल होंगे।

16 किस्में विकसित की
मुख्य कार्यकारी अधिकारी कुर्मा राव ने बताया कि अब तक कॉफी की 16 किस्में विकसित की हैं—जिनमें 13 अरेबिका और 3 रोबस्टा शामिल हैं। इनमें चंद्रगिरी किस्म किसानों के बीच सबसे लोकप्रिय है। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक के उपयोग और गुणवत्ता सुधार पर बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है और आगामी वर्षों में इसका लाभ किसानों तक पहुंचेगा।

7 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य
कॉफी बोर्ड अध्यक्ष दिनेश देववृंदा ने कहा कि शताब्दी समारोह सात लाख टन के शानदार भविष्य के लिए सात स्वर्णिम बीज थीम पर आयोजित किया जा रहा है। वर्तमान में कर्नाटक में लगभग 3.67 लाख टन कॉफी उत्पादन हो रहा है, जिसे तकनीकी नवाचार, बेहतर प्रबंधन और अनुसंधान आधारित खेती के माध्यम से दोगुना करने की रणनीति तैयार की जा रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उत्पादन बढ़ाने के लिए बागानों के क्षेत्र में विस्तार आवश्यक नहीं बल्कि बेहतर प्रबंधन और आधुनिक तकनीक से ही उपज दोगुनी की जा सकती है।

विशेष कार्यशालाएं
सम्मेलन में कॉफी की दो नई किस्में लॉन्च की जाएँगी। साथ ही, किसानों और युवाओं के लिए एकीकृत कृषि, मिट्टी संरक्षण, आर्थिक प्रबंधन, और पर्यावरण-अनुकूल कॉफी खेती पर विशेष कार्यशालाएं होंगी। कॉफी उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यह सम्मेलन न केवल अनुसंधान को नई दिशा देगा बल्कि भारतीय कॉफी की अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग को भी गति प्रदान करेगा।