
शिवमोग्गा वाइल्डलाइफ
शिवमोग्गा वाइल्डलाइफ सर्कल में वन्यजीवों के लिए खतरे लगातार बढ़ते जा रहे हैं। शिकारीपुर तालुक के तलगुंडा क्षेत्र में लगाए गए स्नेयर ट्रैप में एक और तेंदुआ फँस जाने से वन्यजीव प्रेमियों में रोष फैल गया है। हाल के दिनों में यह दूसरी बड़ी घटना है, जिसने विभाग की कार्यप्रणाली और निगरानी व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। कुछ दिन पहले चन्नागिरी के पास उमरानी जंगल से बचाए गए एक तेंदुए की तायवरेकोप्पा ज़ू-कम-सफारी में मौत हो गई थी। वह तेंदुआ जाल में बुरी तरह फँसकर थक चुका था और उसके कमर व पैरों में फंदे गहरे धँस गए थे। उपचार के बावजूद उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। अब तलगुंडा में मिला तेंदुए का सड़ा-गला शव वन विभाग की चेतावनी व्यवस्था की विफलता को उजागर करता है।
शिरालाकोप्पा रेंज के एक अधिकारी जावेद पाशा और उनकी टीम मौके पर पहुँची और जांच शुरू की।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार तेंदुआ एक निजी खेत की सीमा पर लगे फंदे में फंसा था। विभाग के अनुसार शिकारी निजी जमीनों पर जाल लगा देते हैं, जबकि जमीन मालिक स्वयं को इससे अनजान बताते हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मामलों में वे राजनीतिक दबाव के कारण सीधे जमीन मालिकों पर कानूनी कार्रवाई नहीं कर पाते।
शिकारियों के बढ़ते प्रभाव का संकेत
पिछले सात महीनों में भद्रावती और शिवमोग्गा सब-डिवीजन में लगाए गए स्नेयर ट्रैप में 11 भालू और चार तेंदुए फँसे हैं। इनमें से तीन भालू और दो तेंदुए अपनी जान गंवा चुके हैं। एक भालू तो अपना एक पैर भी खो चुका है। यह आंकड़े इस क्षेत्र में शिकारियों के बढ़ते प्रभाव का संकेत देते हैं। फिलहाल विभाग ने जंगल क्षेत्रों में तलाशी अभियान तेज किया है, लेकिन लगातार हो रही घटनाओं ने जंगलों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि यदि सख्त निगरानी और एंटी-पोचिंग टीमें फिर सक्रिय नहीं हुईं, तो आने वाले महीनों में स्थिति और भयावह हो सकती है।
Published on:
11 Dec 2025 06:23 pm
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