
भारतीय नौसेना ने बढ़ाई ताकत
कदंबा नेवल बेस पर आईएनएस विक्रांत सफलतापूर्वक किया डॉक
कारवार. भारत का पहला स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत होने का गौरव प्राप्त विक्रांत ने रविवार को कारवार के कदंबा नौसेना बेस में नौसेना डॉकयार्ड में पहली बार सफलतापूर्वक डॉकिंग करके अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया।
स्वदेशी तकनीक युक्त
युद्धपोत आईएनएस विक्रांत को कोच्चि शिपयार्ड में 2000 इंजीनियरों ने 13 साल तक दिन-रात काम करके देशी तौर पर बनाया है। 40,000 टन वजन वाले 23,000 करोड़ रुपए खर्च कर युध्दक विमान वाहक नौका को स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल कर निर्माण करने के जरिए दुनिया के 6 प्रमुख देशों की सूची में भारत शामिल हो गया है। पहले अमरीका, रूस, चीन, फ्रांस, इंग्लैंड और इटली ही यह उपलब्धि हासिल कर पाए थे।
इस जहाज की लंबाई 262 मीटर, चौड़ाई 62 मीटर, ऊंचाई 59 मीटर, इसमें 18 मंजिलें और 2,400 कोच हैं। आईएनएस विक्रांत पर एक बार में 1600 नौसैनिक तैनात किए जा सकते हैं। मिग-29 के, कमोव-31 हेलीकॉप्टर, अमरीका निर्मित एफ-18ए सुपर हॉर्नेट, फ्रांस निर्मित राफेल (एम) फाइटर जेट, लड़ाकू जेट एमएच-60 रोमियो मल्टीरोल हेलीकॉप्टर कार्यरत हैं और 32 मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल और एके- 630 आर्टिलरी गन भी विक्रांत की तरकश में है।
4,800 लोगों की क्षमता वाली रसोई
नौका विक्रांत का रनवे 262 मीटर लंबा है, जो दो फुटबॉल मैदानों की चौड़ाई के बराबर है। नेवी के मुताबिक, यह रनवे 2 ओलंपिक स्विमिंग पूल बनाने के लिए काफी बड़ा है। 2500 कि.मी. विक्रांत के अंदर एक लंबी विद्युत केबल लगी हुई है। इसकी रसोई एक दिन में 4,800 लोगों का खाना तैयार कर सकती है। अत्याधुनिक मशीनें हैं जो 1 घंटे में 3,000 चपाती और इडली बना सकती हैं।
यह जहाज 33 किमी प्रति घंटा की गति से चलते हुए यह एक बार में 7,500 समुद्री मील की दूरी तय कर सकता है। इसमें ईंधन के 250 टैंकर हैं। कर्मचारियों की तबीयत खराब न हो इसके लिए 16 बेड का अस्पताल भी है। यह जहाज आईएनएस विक्रमादित्य से बड़ा और ज्यादा सक्षम है।
कारवार में ठहराव का महत्वपूर्ण
कारवार का कदंबा नौसैनिक अड्डा एशिया का सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा है। यहां पहले से ही 40 युद्धपोतों और पनडुब्बियों को समुद्र की गहराई में खड़ा करने का इंतजाम किया जा चुका है। देश का पहला ट्रॉली शिपिंग सिस्टम, शिप लिफ्ट, समुद्र के किनारे से जंगी जहाज उठाने की तकनीक लगाई गई है। सी बर्ड स्टेज-1 में तीन जहाजों का निर्माण किया गया था। स्टेज-2 में 3 अलग-अलग बंदरगाहों का निर्माण किया गया है, जिनमें से दो बंदरगाहों में एशिया के सबसे बड़े युद्धपोत को समायोजित किया जा सकता है। इसीलिए यहां विमानवाहक पोत विक्रमादित्य और विक्रांत के लिए जगह उपलब्ध कराई गई है। इससे पहले, विक्रांत कोच्चि में स्थित था, बाद में अरब सागर में परीक्षण परिचालन किया था। यह अब कारवार के कदंबा नौसैनिक अड्डे पर पहुंच गया है और सफलतापूर्वक एक परीक्षण पड़ाव पूरा कर एक और महीने तक यहां रहेगा, बाद में यहां इसे ईंधन और भोजन से भर दिया जाएगा। यह पूर्वी और पश्चिमी तटों पर काम करेगा।
उत्तर कन्नड़ जिले में कारवार के पास आईएनएस कदंबा नौसैनिक अड्डा एशिया का सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा निर्माणाधीन है। 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पहला चरण का काम पूरा होने पर देश को समर्पित किया था। नौसैनिक अड्डे का दूसरा चरण 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।
Published on:
23 May 2023 09:49 am
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