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सांचौर जिले को निरस्त कर जालोर जिले में मिलाने पर प्रवासियों की मिलीजुली प्रतिक्रिया, कोई खुश, कोई नाखुश

सांचौर फिर से जालोर जिले का हिस्सा, करीब 16 महीने बाद जिले का दर्जा किया खत्म

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कई गांव जिला मुख्यालय से 240 किमी दूरहुब्बल्ली प्रवासी तथा राजस्थान में चौरा गांव के बीरबल विश्नोई साहू कहते हैं, ऐसा पहली बार किसी राज्य में हुआ है कि एक सरकार ने जिले दिए और दूसरी सरकार ने आते ही जिले निरस्त किए। जिले भौगोलिक स्थिति को देखकर तथा आम जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बनाए जाते हैं। राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने हमेशा भाजपा द्वारा शुरू किए गए विकास कार्यों को गति प्रदान करने की कोशिश की है, जबकि भाजपा सदैव कांग्रेस सरकार में हुए विकास कार्यों को निरस्त करने की कोशिश में लगी रहती है। भौगोलिक दृष्टि से मध्यप्रदेश राजस्थान से छोटा होते हुए भी वहां 53 जिले है। सांचौर अब जिला मुख्यालय जालोर से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जालोर जिले के आखिरी छोर पर आबाद गांव रणखार और वेडिय़ा की दूरी जिला मुख्यालय से करीब 240 किलोमीटर है। अब सांचौर को जालोर जिले में मिलाकर सांचौर की जनता का हक छीना गया है। हमें अब सांचौर जिला बचाओ संघर्ष समिति को समर्थन देना चाहिए। अन्यथा आने वाली पीढिय़ां कभी माफ नहींं करेगी।

राजनीतिक दल अपनी रोटियां सेंक रहेइलकल प्रवासी तथा राजस्थान में लियादरा निवासी भरत विश्नोई गोदारा कहते हैं, यह सब राजनीतिक चालेें हैं। नए जिले की बताय आम जनता को सबसे पहले स्वच्छ पेयजल, बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल, बीमारी में इलाज के लिए अस्पताल, गांव-शहर जाने के लिए सड़कें और बिजली उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। पहले सांचौर जिला बनाया गया और अब फिर से यह जालोर जिले में समाहित किया गया है। इससे आमजन को कोई नुकसान भी नहीं है। केवल राजनीति के लिए आन्दोलन हो रहा है। जिले की आड़ में राजनीतिक दल अपनी रोटियां सेंक रहे हैं।

जालोर जिला पहले से विकसितहुब्बल्ली प्रवासी तथा रानीवाड़ा तहसील के बडग़ांव निवासी रतनाराम देवासी कहतेे हैं, सांचौर जिले को फिर से जालोर जिले में मिलाया गया है। जालोर पहले से विकसित शहर है। हर तरह की सुविधाएं जालोर मुख्यालय पर पहले से हैं। ऐसे में लोगों को अधिक परेशानी नहीं होगी। मेरा गांव बडग़ांव जालोर जिले का आखिरी गांव हैं। इसके आगे गुजरात राज्य की सीमा शुरू हो जाती है।

जालोर में सभी तरह की सुविधाएंइलकल प्रवासी तथा रानीवाड़ा तहसील के मेड़ा मूल के रेखाराम चौधरी कहते हैं, हमारे गांव को फिर से जालोर जिले में रखा गया है। यह एक अच्छा निर्णय है। जालोर जिला शांतिप्रिय जिला है। जालोर जिले में विकास के भी खूब कार्य हो रहे हैं। प्रशासनिक स्तर पर सभी सुविधाएं पहले से हैं।

सांचौर को जिला निरस्त करना गलतहुब्बल्ली प्रवासी तथा राजस्थान में करावड़ी गांव के रामलाल सारण विश्नोई कहते हैं, सांचौर को जिला बनाना क्षेत्र की वर्षों पुरानी मांग थी और इसे खत्म करना गलत है। सांचौर जालोर से काफी दूर है और इसे जिला बनाए रखना जरूरी था। सांचौर की जालोर से दूरी 150 किलोमीटर है। सांचौर का अंतिम गांव जिला मुख्यालय से लगभग 225 से 230 किलोमीटर दूर है। ऐसे में सांचौर जिला खत्म करना ग्रामीणों के लिए प्रशासनिक कार्यों को मुश्किल बनाता है। सांचौर हर तरह के मापदंड पर भी जिला बनने की सभी योग्यताएं पूरी करता हैं। ऐसे में सांचौर को जिला निरस्त करना किसी भी दृष्टि से सही नहीं है।