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घाणेराव की मिट्टी से हुब्बल्ली की बुलंदियों तक, नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बने प्रकाशचन्द कोठारी

राजस्थान के पाली जिले के घाणेराव गांव से निकलकर कर्नाटक की धरती पर सात दशकों से अपनी कर्मठता, ईमानदारी और सेवा भावना से पहचान बनाने वाले प्रकाशचन्द प्रेमचन्द कोठारी आज नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। व्यापार, शिक्षा और समाजसेवा तीनों क्षेत्रों में उनकी यात्रा यह संदेश देती है कि मजबूत जड़ें और खुला दृष्टिकोण किसी भी व्यक्ति को ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।

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प्रकाशचन्द कोठारी

प्रकाशचन्द कोठारी

राजस्थान और कर्नाटक के बीच जीवंत सेतु
धर्म और मानव सेवा में उनकी सक्रिय भूमिका उन्हें समाज का विश्वसनीय स्तंभ बनाती है। हर वर्ष वे दो बार राजस्थान जरूर जाते हैं और अपनी जन्मभूमि से भावनात्मक रिश्ता बनाए रखते हैं। प्रकाशचन्द कोठारी की कहानी राजस्थान और कर्नाटक के बीच एक जीवंत सेतु है जो नई पीढ़ी को यह सिखाती है कि मेहनत, मूल्यों और सेवा के साथ आगे बढ़ा जाए तो परदेश में भी परचम लहराया जा सकता है।

पारिवारिक व्यवसाय को आगे बढ़ाया
करीब 72 वर्ष पहले उनके पिता प्रेमचन्द कोठारी व्यवसाय की तलाश में हुब्बल्ली आए थे। यहां एक छोटी-सी कपड़े की दुकान से उन्होंने यह यात्रा शुरू की, जिसका नाम रखा गया कर्नाटक क्लॉथ पैलेस। उस समय प्रकाशचन्द कोठारी महज तीन वर्ष के थे। आज वे 75 वर्ष के हैं और उनका जीवन स्वयं में एक चलता-फिरता इतिहास है। उनकी शिक्षा हुब्बल्ली में हुई। एमबीबीएस के प्रथम वर्ष तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने पारिवारिक व्यवसाय को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया और कपड़े के व्यापार को मजबूत आधार दिया।

सफल बिल्डर और प्रमोटर
व्यापारिक दूरदृष्टि ने उन्हें नए क्षेत्रों की ओर अग्रसर किया। वर्ष 1980 में पांच मित्रों के साथ मिलकर उन्होंने रियल एस्टेट के क्षेत्र में कदम रखा। 1986 में युरेका बिल्डर्स की स्थापना हुई और पहले ही प्रोजेक्ट में हुब्बल्ली में 100 घरों का निर्माण कर उन्होंने अपनी पहचान बना ली। इसके बाद 2004 में ग्लोबस बिल्डर्स की शुरुआत की, जिसने उन्हें एक सफल बिल्डर और प्रमोटर के रूप में स्थापित किया।

समाज को सशक्त बनाती है शिक्षा
सिर्फ व्यापार ही नहीं, शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है। वसंत होरट्टी के साथ मिलकर ऑक्सफोर्ड कॉलेज की स्थापना की और 14 वर्षों तक इससे जुड़े रहे। वर्तमान में वे बेंगलूरु एजुकेशन ट्रस्ट के चेयरमैन हैं और बेंगलूरु में चार कॉलेजों का सफल संचालन कर रहे हैं। उनका मानना है कि शिक्षा ही समाज को दीर्घकालिक रूप से सशक्त बनाती है।

निरंतर सामाजिक कार्य में सक्रिय
समाजसेवा उनके जीवन का अहम हिस्सा रहा है। जीतो हुब्बल्ली के चेयरमैन रहते हुए उनके कार्यकाल में जीतो गल्र्स हॉस्टल एवं एजुकेशन सेंटर का निर्माण शुरू हुआ, जो अब अंतिम चरण में है। पांच मंजिला इस भवन में 100 बालिकाओं के लिए सुरक्षित आवास और शिक्षा की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा वासूपूज्य नूतन भवन में आर्थिक सहयोग, मुनि सुव्रत नव कल्याण परिवार द्वारा मंदिर निर्माण में भूमि दान, विवेकानंद हॉस्पिटल में आईसीयू सहित सहयोग जैसे अनेक कार्य उनकी सेवा भावना को दर्शाते हैं। जेसिज के अध्यक्ष रहे। लायंस क्लब, क्रेडाई जैसे संगठनों से जुड़कर वे निरंतर सामाजिक कार्य कर रहे हैं। धर्म और सेवा के कार्यों में पत्नी रसीला कोठारी की प्रेरणा और सहयोग रहता है, जो उनके सामाजिक व धार्मिक दायित्वों को निरंतर बल प्रदान करता है।


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