
गाय पालन
उन्नत नस्ल की गायें लाने की योजना
तीन वर्ष पहले घाटे के चलते गाय पालन बंद करने के बाद अपने बगीचे के बीच बनी झोपड़ी को फिर से सक्रिय किया। जर्सी नस्ल की गायों से दुहना शुरू किया गया और दूध डेयरी यूनियन को दिया जाने लगा। इसी दौरान उन्हें जानकारी मिली कि दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिला दुग्ध उत्पादक संघ तमिलनाडु के इरोड से उन्नत नस्ल की गायें लाने की योजना बना रहा है। वे स्वयं इरोड गए और जर्सी, जर्मन समेत करीब 30 गायें लेकर आए। इसके अलावा शहरी नस्ल की पांच गायें भी उनके पास हैं। आज उनके फार्म में स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है और नियमित रूप से यूनियन को दूध की आपूर्ति हो रही है।
दूध उत्पादन कर दुग्ध संघ को सप्लाई कर रहे
इसी तरह बेल्थांगडी तालुक के गेरुकाटे के पास पिलिगुड निवासी एक पशुपालक ने भी गाय पालन को शौक के रूप में शुरू किया था, जो अब उनका पेशा बन चुका है। वे पिछले 17 वर्षों से गाय पाल रहे हैं और उनके पास इरोड और मैसूरु से लाई गई नस्लों सहित करीब 40 गायें हैं। दो कर्मचारियों की मदद से वे प्रतिदिन दूध उत्पादन कर दुग्ध संघ को सप्लाई कर रहे हैं।
डेयरी फार्मिंग को फिर से आकर्षक बनाने की पहल
दुग्ध संघ के निदेशक प्रकाश चंद्र शेट्टी का कहना है कि डेयरी फार्मिंग को नौकरी की तरह अपनाकर स्थिर आय प्राप्त की जा सकती है। हालांकि इन सफल उदाहरणों के बीच कई किसान ऐसे भी हैं जो घाटे और प्रबंधन की कठिनाइयों के कारण इस क्षेत्र से दूर हो रहे हैं। तटीय इलाकों में गायों की देखभाल, चारे की उपलब्धता और लागत एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। उडुपी-दक्षिण कन्नड़ दुग्ध संघ इन समस्याओं से निपटने के लिए इरोड से गायें लाने, उत्तर कर्नाटक और हासन से साइलेज मंगाने, इंसेंटिव और छूट जैसी योजनाओं पर काम कर रहा है, ताकि डेयरी फार्मिंग को फिर से आकर्षक बनाया जा सके।
Updated on:
17 Dec 2025 09:19 pm
Published on:
17 Dec 2025 09:18 pm
