script#GIS_2016: MP बनेगा रेडीमेड गारमेंट हब, पर अभी फंसा जमीन का पेंच | after mp global investors summit 2016 demand Ready-made cluster around the indore | Patrika News
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#GIS_2016: MP बनेगा रेडीमेड गारमेंट हब, पर अभी फंसा जमीन का पेंच

प्रदेश को रेडीमेड गारमेंट हब बनाने के लिए निती लाने की मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की घोषणा से शहर के व्यवसाइयों को उम्मीद जागी है।

इंदौरOct 25, 2016 / 12:42 pm

Kamal Singh

global investers summit

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इंदौर. प्रदेश को रेडीमेड गारमेंट हब बनाने के लिए निती लाने की मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की घोषणा से शहर के व्यवसाइयों की उम्मीद जगी है। उनका कहना है, ‘सरकार शहर के बीच या आसपास क्षेत्र में जमीन उपलब्ध कराएं तो रेडीमेड कारोबार में जबरदस्त बूम आएगा।

कपड़ा कारोबार शहर की पुरानी पहचान रही है। पूरे प्रदेश के साथ ही देश के अन्य हिस्सों में भी व्यापारी कपड़ा खरीदने क्लाथ मार्केट आते हैं। अभी पूरा रेडीमेड गारमेंट का कारोबार राजबाड़ा व आसपास के इलाके में सीमित हो गया है। वैसे सरकार ने वर्षों पहले परदेशीपुरा चौराहे के पास रेडीमेड कॉम्प्लेक्स बनाया था, लेकिन वह अपर्याप्त है। वहां आवंटन को लेकर भी समय-समय पर सवाल उठते हैं। स्थिति यह है कि राजबाड़ा व आसपास के इलाके में व्यापारी पुराने मकान खरीदने के बाद वहां कारोबार का संचालन कर रहे है।


जिले में है 22 हजार इकाइयां: रेडीमेड कारोबार काफी तेजी से बढ़ा है। जिले में करीब 22 हजार रेडीमेड गारमेंट की इकाई है और अधिकांश शहरी क्षेत्र में चल रही है। यहां से देश के सभी हिस्सों के साथ ही खाड़ी देश व यूरोपीय देशों में रेडीमेड गारमेंट सप्लाय होता है।


बेटमा में प्रस्तावित है रेडीमेड क्लस्टर
– सरकार ने व्यापारियों के लिए बेटमा के पास बीजापुर में गारमेंट क्लस्टर प्रस्तावित किया है, लेकिन व्यापारी वहां जाना नहीं चाहते हैं। दो बार टेंडर होने के बाद भी वहां किसी ने जगह लेने में रुचि नहीं दिखाई।
– यह जगह शहर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर है। आसपास पहाड़ी इलाका है।
– गारमेंट उद्योग का मुख्य हिस्सा है कारीगर। व्यापारियों का कहना है कि कारीगर शहर में ही मिलते हैं। उन्हें इतनी दूर ले जाकर काम कराना संभव नहीं है।खरीदार भी इतनी दूर नहीं जाते हैं। राजबाड़ा के आसपास ही कारोबार चल रहा है, पार्किंग की कठिनाई होने से यहां भी ग्राहकों को परेशानी होती है।



शहर में चाहिए जमीन
– इंदौर रेडीमेड वस्त्र व्यापारी संघ के सचिव आशीष निगम के मुताबिक, ‘शासन की घोषणा से व्यापारियों को उम्मीदें हैं। व्यापारी चाहते हैं कि शहर अथवा नजदीक में जमीन मिले जहां कारीगर आसानी से मिले।’
– प्रदेश गारमेंट्स मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के प्रवक्ता अक्षय जैन का कहना है, ‘व्यापारी बेटमा जाना नहीं चाहते हैं। शहरी क्षेत्र में क्लस्टर बने तो कारोबार तेजी से बढ़ेगा और रोजगार के अवसर मिलेंगे।’


अच्छी समिट के बाद एकेवीएन स्टाफ को बोनस का तोहफा
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के सफलता के साथ समाप्त होने के साथ ही एकेवीएन के कर्मचारियों को सरकार ने बोनस के रूप में तोहफा दिया है। एमडी कुमार पुरुषोत्तम के मुताबिक, सोमवार को ही दीपावली बोनस देने के आदेश जारी हुए हैं। एकेवीएन में अफसर-कर्मचारी सहित करीब 180 लोगों का स्टाफ है। सभी को 15 हजार सेे 25 हजार के बीच बोनस मिलेगा।

प्रदेश को बनाएं मेक इन इंडिया का प्रवेश द्वार: डॉ. जयंतीलाल भंडारी, अर्थशास्त्री 
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के चलते उद्योग जगत की निगाहें प्रदेश पर लगी थीं। समिट के लिए मुख्यमंत्री ने अमरीका, ब्रिटेन, जापान, चीन, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया में ‘इन्वेस्ट एमपी’ थीम पर रोड शो किए। समिट में ऊर्जा, पर्यटन, टेक्सटाइल्स, कृषि व खाद्य प्रसंस्करण, ऑटो कम्पोनेट, खनिज, फार्मा, शहरी विकास, मोबाइल, हैंडसेट, आईटी जैसे सेक्टर में अच्छे प्रस्ताव प्रदेश को मिले।

जीएसटी के बाद भी उद्योगों को रियायत देने की बात कर सरकार ने निवेशकों को बड़े स्तर पर आकर्षित किया है। चूंकि, जीएसटी के आने पर टैक्स प्रणाली एकीकृत रहेगी। जीएसटी से प्रवेश कर अधिनियम खत्म हो जाएगा। सरकार जो रियायत देगी, वह एसजीएसटी से देगी।



इंडस्ट्री को विक्रय कर व प्रवेश कर में छूट प्रदेश सरकार देती है। ऐसी छूट को जारी रखा जाएगा। यद्यपि केंद्र अपना हिस्सा नहीं छोड़ेगी मगर प्रदेश अपने हिस्से से रियायत दे सकता है। समिट को देखते हुए विश्व अर्थव्यवस्था की चर्चा करना जरूरी है। इस समय अधिकांश देशों की आर्थिक स्थिति नहीं है। वहां निवेश जोखिमपूर्ण है, वहीं दूसरी ओर चीन के विनिर्माण के बाद सेवा क्षेत्र की ओर तेजी से रुख करने के कारण वहां अधिक निवेश की जरूरत नहीं है।

ऐसे में दुनिया की सबसे अधिक विकास दर वाले भारत की ओर निवेश की संभावनाएं बढ़ीं हैं। इन उम्मीदों को मध्यप्रदेश की ओर मोड़ा जा सकता है। मध्यप्रदेश मेक इन इंडिया का प्रवेश द्वार भी बनाया जा सकता है। निश्चित तौर पर समिट के बाद प्रदेश निवेशकों का पसंदीदा राज्य बनते हुए दिख रहा है। ऐसे में प्रदेश को कुछ खास बातों पर ध्यान देना ही होगा। 

सरकार ने जो निवेशक अनुकूल नीतियां और एकल खिड़की व्यवस्था बनाई है, उन्हें कारगर बनाना होगा। बुनियादी सुविधाओं की गुणवत्ता, दूरसंचार और परिवहन की उपयुक्तता का कारगर क्रियान्वयन जरूरी होगा। वैसे तो समिट लक्ष्य के अनुरूप रही है, अब निवेश प्रस्तावों को जमीन पर लाने के प्रयास तेज गति से करना होंगे।

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