
ब्रेन ट्यूमर के संकेतों की अनदेखी पड़ सकती है भारी
इंदौर. किसी बीमारी के पनपने से पहले मिलने वाले छोटे-मोटे संकेतों को अनदेखा करने से बीमारी घातक रूप ले लेती है। ब्रेन ट्यूमर भी इन्हीं बीमारियों में से एक है। इसके प्रति जागरुकता कम है। इंदौर में हर वर्ष करीब 500 मरीज सामने आ रहे हैं। इनमें से 150 से ज्यादा मरीज सिर्फ एमवायएच पहुंच रहे हैं। दिमाग में किसी प्रकार की गठान के पनपने को ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। यह साधारण होने के साथ कैंसर से संबंधित भी हो सकती है। जब मस्तिष्क में ट्यूमर पनपने लगता है तो शरीर संकेत देता है। संकेतों को पहचान कर चिकित्सकीय परामर्श लिया जाए तो खतरा टाला जा सकता है। समय पर इलाज न मिलने पर ब्रेन ट्यूमर जानलेवा हो सकता है।
हर ट्यूमर कैंसर का नहीं
डॉक्टरों का कहना है कि ट्यूमर को आमतौर पर कैंसर से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन हर ट्यूमर कैंसर नहीं होता है। मस्तिष्क सेल्स (कोशिकाओं) से बना होता है। जब ब्रेन की सेल्स का नियंत्रण बिगड़ता है तो ये सेल्स खत्म होने लगती हैं। इससे मस्तिष्क के काम में रूकावट होने लगती है। वहीं, मस्तिष्क में अनियंत्रित सेल्स के तेजी से फैलने पर ये कैंसर का रूप धारण कर लेते हैं। ब्रेस्ट, लंग्स आदि किसी स्थान पर कैंसर होने पर इसके पार्टिकल्स के मस्तिष्क तक पहुंचने से भी ट्यूमर में कैंसर हो सकता है।
50 फीसदी में होता है कैंसर का ट्यूमर
न्यूरो सर्जरी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर के मरीजों में करीब 50 फीसदी मरीजों को कैंसर वाला ट्यूमर होता है, जिसे मलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। सामान्य ट्यूमर या नसों का एक जगह इकट्ठा हो जाना बिनाइन ब्रेन ट्यूमर होता है। बिनाइन ट्यूमर को सर्जरी कर निकाला जा सकता है, जबकि मलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर को एक बार निकालने के बाद यह दोबारा फैल सकता है।
20 फीसदी बच्चों में मस्तिष्क का कैंसर
एशिया पैसिफिक जर्नल की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में मस्तिष्क संबंधी बीमारियों में वृद्धि के साथ, हर वर्ष 2500 से अधिक भारतीय बच्चे मेडुलोब्लास्टोमा (बच्चों में होने वाला मस्तिष्क कैंसर) से पीडि़त होते हैं। भारत में हर साल 40 से 50 हजार लोगों में ब्रेन ट्यूमर का पता चलता है, इनमें 20 फीसदी बच्चे हैं।
ये हैं लक्षण
- सिरदर्द या कभी-कभी इसके साथ उल्टी होना।
- किसी युवा को पहली बार मिर्गी का दौरा पड़ा है तो उसमें मस्तिष्क संबंधी समस्या या ब्रेन ट्यूमर की आशंका ज्यादा होती है। - नींद न आना, मूड स्विंग, हियरिंग-स्पीच प्रॉब्लम, कॉग्निटिव डेकलाइन (सीखने की क्षमता कम होना)।
(न्यूरो सर्जन डॉ. राकेश गुप्ता के अनुसार)
अंगों को ऐसे प्रभावित करता है ट्यूमर
एमवायएच के न्यूरो सर्जन डॉ. परेश सौंधिया का कहना है कि ट्यूमर मस्तिष्क के जिस हिस्से में पनपता है, उससे ऑपरेट होने वाला हिस्सा काम करना बंद कर देता है। यदि ट्यूमर बॉडी को कंट्रोल करने वाले हिस्से में होता है तो मरीज पैरालिसिस का शिकार हो जाता है। आंख की नस से जुड़े होने पर विजन प्रॉब्लम होता है, जिसमें ऑब्जेक्ट्स का डबल दिखाई देना या कम दिखाई देना शामिल है। कोविड काल के बाद ऐसे मरीज अन्य राज्यों के बजाय एमवायएच में इलाज करवा रहे हैं, जिससे मरीजों की संख्या में आंशिक बढ़ोतरी हुई है। न्यूरो सर्जन डॉ. रजनीश कछारा का कहना है कि कई बार बहुत अंदर होने के कारण सरफेस पर ट्यूमर दिखाई नहीं देता है। गहराई में पहुंचने के लिए विशेष टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है, इसे न्यूरो नेविगेशन या इमेज गाइडेड सर्जरी कहते हैं।
Published on:
08 Jun 2022 01:54 am
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