स्कूली वाहन चलाने वालों ने हाल ही में गठित हुई उनकी एसोसिएशन पर भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि एसोसिएशन के माध्यम से हर स्कूली वैन से एक हजार रुपए माह लिया जाता है। इसके बदले में १०० रुपए की एक रसीद दी जाती है। किसी-किसी को रसीद भी नहीं मिलती है। इस रसीद के अलावा स्टीकर भी दिए गए हैं। स्टीकर लगी गाडिय़ों की पुलिस भी चेकिंग नहीं करती। जिन गाडिय़ों पर स्टीकर नहीं हैं और उसके पास अगर रसीद है तो पहले तो उसका चालान नहीं बनेगा, लेकिन अगर बन भी जाए तो गाड़ी के कागजात वापस मिल जाते हैं। जो यह रसीद नहीं कटवाता है, उसके साथ मारपीट भी की जा रही है।
हम नहीं, आरोप लगाने वाले कर रहे थे वसूली
एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश शाक्य ने बताया कि हम नहीं, आरोप लगाने वाले वसूली किया करते थे। एसोसिएशन बनने से उनकी वसूली बंद हो गई। इसके चलते गलत आरोप लगा रहे हैं। हम सभी बुजुर्ग पदाधिकारी हैं। हमारे ऊपर मारपीट किए जाने की शिकायत की जा रही है, जबकि उल्टा हमारे साथ मारपीट की गई और धमकाया जा रहा है। इसकी सारी रिकॉर्डिंग हमारे पास मौजूद है। इसे लेकर पुलिस के पास जाएंगे।