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डूब क्षेत्र में है तालाब, कैसे बन जाएगा कोर्ट भवन

रिकॉर्ड में पहरेदारी दर्ज, फिर कैसे दे दी जमीन?पीपल्याहाना तालाब मामले में याचिकाकर्ता ने उठाया सवालएनजीटी द्वारा गठित कमेटी आज करेगी तालाब का मौका मुआयना

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Hussain Ali

Mar 08, 2016

इंदौर. पीपल्याहाना तालाब की जमीन पर जिला कोर्ट भवन बनाने के मामले में सरकारी दस्तावेज में दर्ज जमीन के रकबे को लेकर सवाल उठ रहे हैं। याचिकाकर्ता ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष सवाल उठाया कि सरकारी रिकॉर्ड में कोर्ट के लिए आवंटित जमीन से लगा क्षेत्र तालाब की पहरेदारी यानी डूब क्षेत्र में दर्ज है, फिर भी कोर्ट को कैसे आवंटित की गई? मंगलवार को एनजीटी द्वारा कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति तालाब का मौका मुआयना करेगी।
गांधी हॉल के समीप स्थित जिला कोर्ट भवन को स्थानांतरित करने के लिए शासन ने हाई कोर्ट को पीपल्याहाना तालाब से लगी करीब 11 हैक्टेयर जमीन का आवंटन किया है। कोर्ट के निर्माण से जल ग्रहण क्षेत्र समाप्त होने की चिंता को लेकर एनजीटी के समक्ष सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने जनहित याचिका दायर की है। इस पर कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगे हैं। साथ ही कलेक्टर इंदौर की अध्यक्षता में समिति गठित कर जमीन की भौतिक स्थिति और दस्तावेज के आधार पर परीक्षण कर रिपोर्ट मांगी है। तालाब की जमीन को लेकर सरकारी एजेंसियों में दर्ज रिकार्ड में कई विसंगतियां सामने आ रही हैं। प्रशासन, आईडीए व भारत सरकार के भू-सर्वेक्षण विभाग के टोपोग्राफी मेप के रकबे में ही बड़ा अंतर सामने आया है। 14 मार्च 2011 को जारी परीक्षण रिपोर्ट में उल्लेख है कि संलग्न 3.67 हैक्टेयर तालाब की खुदाई कर प्रस्तावित जमीन का भराव करके 1 मीटर ऊंची रिटर्निंग वॉल बनाने के बाद ही जमीन का उपयोग किया जाए।

जमीन के रकबे में अंतर प्रशासन का रिकॉर्ड
जिला प्रशासन के रिकॉर्ड में तालाब 3.67 हैक्टेयर में है। इसमें 3.34 हैक्टेयर पाल की जमीन, कोर्ट को आवंटित रकबा 11.2 हैक्टेयर है। इसके अलावा अन्य खसरों का भी विवरण है।
आईडीए के दस्तावेजों में : आईडीए ने तालाब के आसपास योजना-140 और योजना-94 बनाई है। इसमें योजना 140 का हिस्सा तालाब से ही लगा हुआ है। नगर व ग्राम निवेश विभाग से स्वीकृत नक्शे में 13 हैक्टेयर जमीन तालाब के लिए छोड़ी गई है, जिसमें खसरा नंबर 525 व अन्य शामिल हैं।
टोपोग्राफी मेप : भारत सरकार के भू सर्वेक्षण विभाग के दस्तावेजों में इसे 28 हैक्टेयर का बताया है, जिसमें करीब 14-15 हैक्टेयर पर अतिक्रमण व रोड बना दी गई।
याचिकाकर्ता के सवाल
सरकारी दस्तावेजों में तालाब की पाल 3.34 हैक्टेयर है। टोपोग्राफी मेप व राजस्व रिकॉर्ड में यह अंतर संभव है?
नजूल की 11 हैक्टेयर जमीन खाली रही, लेकिन किसी की नजर नहीं पड़ी, यह संभव है?
तालाब व इसके आसपास का रकबा 1 इंच बारिश मंें लबालब हो जाता है, अधिक बारिश की स्थिति में क्या पास से लगी जमीन पर होने वाला निर्माण नहीं डूबेगा?
वर्तमान पाल की ऊंचाई 4 मीटर है, लबालब भरने पर ही योजना-140 के बगीचे तक पानी फैल जाता है, क्या एेसे स्थान पर निर्माण उचित है?

एसटीपी प्लांट प्रस्तावित
आईडीए की योजना-140 के स्वीकृत नक्शे के साथ इस जमीन के खसरे 525, 528, 529, 530 व 31 में तालाब, उद्यान व सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रस्तावित है। वर्षाजल व सीवरेज ट्रीट कर तालाब में छोडऩे की योजना है, इसका क्या होगा?

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