
ईसाई समुदाय के लोग उत्साह से क्रिसमस का पर्व मनाएंगे। 24 दिसंबर बुधवार रात 12 बजे प्रभु यीशु का जन्म हुआ। प्रभु यीशु के जन्मदिन की शुरुआत कैरोल गीत गाने के साथ होगी। रात 12 बजे प्रभु यीशु का जन्म होने पर विशेष प्रार्थना सभा होगी और प्रभु यीशु की जन्म की परंपरागत रूप से खुशियां मनाई जाएगी। चर्चों में रात को उत्सव का माहौल रहेगा। शहर में कुल 8 चर्च हैं। इनमें से 5 रोमन कैथोलिक चर्च यानी कि सेंट कैथेड्रिल चर्च कॉन्वेंट स्कूल, सेंट फ्रांसिस चर्च श्यामपुरा, सेंट मैरी चर्च मकरोनिया, ज्योति भवन चर्च तहसीली और सेंट फ्रांसिस होली रोसरी चर्च हैं। जबकि शेष प्रोटेस्टेंट चर्च स्वीडिश मिशन स्थित ईएलसी और कैंट बोर्ड के बाजू में स्थित सेंट पीटर्स चर्च, मकरोनिया स्थित डिलिवर्स चर्च हैं। सेंट पीटर्स चर्च सागर का सबसे पुराना चर्च है। इसकी पहली आराधना 12 जनवरी 1841 में हुई थी।
सेंट पीटर्स चर्च कैंट भारत के प्राचीनतम चर्चों में से एक है। इसका निर्माण 1840 में हुआ था। चर्च के सचिव और गल्र्स डिग्री कॉलेज के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नवीन गिडियन बताते हैं कि वर्ष 1818 में सागर क्षेत्र ब्रिटिश आधिपत्य में आया और 1 सितंबर 1835 को सागर में प्रथम ब्रिटिश केंटोनमेंट स्थापित की गई। केंट भारत का प्राचीनतम केंटोनमेंट तथा सेन्ट्रल प्रॉविन्स एण्ड बरार में स्थापित प्रथम केंटोनमेंट था। चर्च की नींव मास्टर्स एण्ड वेटरन ऑफ सेंट जॉन्स लॉज ने 16 जून 1836 को रखी थी और 12 जनवरी 1840 को इसमें प्रथम आराधना की गई तथा 6 जनवरी 1841 को इसमें पवित्र संस्कार किया गया। इस चर्च के निर्माण की लागत 11999 रुपए 14 आना और 5 पाई आई थी। चर्च की आंतरिक लंबाई 72.5 फीट तथा 10.2 फीट अतिरिक्त स्थान है जहां वेदी बनी हुई है तथा प्रीस्ट साहबान बैठते हैं एवं प्रभुभोज की विधि संपन्न की जाती है। प्रांतीय महासचिव सतेंद्र कनासिया ने बताया कि क्रिसमस पर धूमधाम से उत्साह मनाया जाएगा। आज रात 12 बजे प्रभु यीशु जा जन्म उत्सव मनेगा।
स्वीडिश मिशन स्कूल में स्थित ईएलसी चर्च पहले विवि घाटी में लगता था। चर्च के सचिव ईवाय कुमार ने बताया कि स्वीडिश मिशन कलीसिया का विधान स्वीकृत कर नए नाम मध्य प्रदेश लूथरन कलीसिया की स्थापना की। इसके पहले यह चर्च स्वीडिश मिशन के नाम से जाना जाता था। इसका काम सन 18 से स्वीडन देश की चार मिशनरियों द्वारा शुरू किया गया। यह मिशनरी 28 दिसंबर 18 को बैलगाडिय़ों से नागपुर से ङ्क्षछदवाड़ा पहुंचे थे। चार में से दो मिशनरी 8 नवंबर 1878 को सागर पहुंची। 1896 में भीषण अकाल पड़ा। तत्कालीन शासन ने 500 अनाथ बालक-बालिकाओं को मिशन को संभालने के लिए दिया। इनमें से 200 बच्चे सागर और 300 बच्चे ङ्क्षछदवाड़ा मिशन स्टेशन भेजे गए। ईएल चर्च की नींव 1939 में डाली गई थी। जिसका निर्माण लगभग 30 साल बाद सन 1968 में हुआ। उद्घाटन 7 अप्रेल 1968 को हुआ था। यहां गुरुवार को सुबह 5 बजे से प्रार्थना सभा होगी और प्रभु यीशु का जन्म उत्सव मनेगा।
डॉ. नवीन गिडियन बताते हैं वर्तमान में समाज की आबादी बढक़र 6000 के करीब है। समाज ने शहर को 7 डॉक्टर, 12 इंजीनियर, 2 वकील, और 4000 नौकरीपेशा दिए हैं, जो इस समय सेवा में जुटे हैं। समाज में अधिकांश लोग शिक्षक हैं। महिलाएं नर्स हैं। कुछ लोग व्यापार से भी जुड़े हुए हैं। समाज शहर की अर्थव्यवस्था में भी 10 फीसदी की भागीदारी कर रहा है। वर्ष 1840 में शहर में एक चर्च था।
क्रिसमस के लिए सभी चर्च रोशनी से जगमग हो रहे हैं। स्थानीय ईसाई समुदाय के लोगों ने प्रभु यीशु की जन्मस्थली बैथलेहम शहर की झांकी बनाई है। वहीं जहां प्रभु यीशु का जन्म हुआ था, उस चरनी (गौशाला) की झांकी भी बनायी गयी है। ईसाई परिवार के घरों में भी चरनी की झांकियां बनायी गयी हैं। कैरोल मेकिंग के साथ केक कटिंग भी होगी। क्रिसमस का मुख्य कार्यक्रम 24 दिसंबर की रात से शुरू हो जाएगा।
Updated on:
24 Dec 2025 04:42 pm
Published on:
24 Dec 2025 04:41 pm
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