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कठोरा में कलौंजी से महक उठेंगे खेत-खलिहान, होगा जोरदार उत्पादन

नवाचार...उद्यानिकी खेती में किसान दिखा रहे रुझान, कम खर्च में भाव मिलते हैं अच्छे

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In Kathora, there will be a field-barn smelling from fennel, vigorous production will happen

In Kathora, there will be a field-barn smelling from fennel, vigorous production will happen

भारत यादव
कसरावद. क्षेत्र में इन दिनों खेती को लेकर नए-नए प्रयोग होने लगे हैं। परंपरागत खेती से इतर होकर किसानों ने कुछ ऐसा भी करने का प्रयास किया है जो न सिर्फ उनकी आय को, बल्कि विकासखंड के नाम को आगे बढ़ाए। इस फेहरिस्त में समीपस्थ ग्राम कठोरा व शहर के किसानों ने कलौंजी नामक मसाले की खेती करना शुरू किया है। विकासखंड स्तर पर तरबूज की खेती में भी लोगों ने रुचि दिखाई है। इन सबसे हटकर किसानों ने लहसुन लगाया है। उद्यानिकी विभाग की उम्मीद अनुसार नई नई खेती में रुचि ले रहे है।
इन सब मामलों में यदि सकारात्मक परिणाम आए तो निश्चित तौर पर विकासखंड का नाम जिले में छा जाएगा। कठोरा में परंपरागत खेती से हटकर खेती करने का चलन अब बढऩे लगा है। लोग गेहूं-चने के साथ ही कुछ ऐसी फसलें भी लगाने लगे हैं, जिसका बाजार में न सिर्फ भाव अच्छा है, बल्कि उनके उत्पादन में ज्यादा समय, पैसा और पानी भी खर्च करने की जरूरत नहीं होती। कठोरा में सात किसानों व हनुमंत्याकाग के एक किसान ने अपने खेत में इस बार कलौंजी का रोपण किया है। इसके पौधे के बीज मसाले के रूप में उपयोग होते हैं। बाजार में इसकी खरीदारी बेहतरीन स्तर पर होती है।

मंदसौर व नीमच में ज्यादा होती है खेती

कलौंजी की खेती पहले वर्ष चालू करने वाले किसान विपिन यादव कहते है कलौंजी की बोवनी डेढ़ बीघा में की है और बेहतर उत्पादन उम्मीद है। अगर डेढ़ बीघा जमीन में पांच से आठ क्विंटल का एवरेज भी मिलता है तो अन्य खेती से तो मुनाफा ही देगी, कलौंजी का बीज सस्ता होने के साथ-साथ इस खेती में का खर्च बीघा पीछे मात्र चार से पांच सौ रुपए का केवल दवाई का ही है। भाव 15 से लेकर 18 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिकता है।

ऐसा कलौंजी का बाजार
कलौंजी एक प्रकार का मसाला होता है। इसके उत्पादन में ज्यादा पानी, समय और पैसा खर्च नहीं होता है। एक बीघा में इसका उत्पादन करीब चार से पांच क्विंटल तक हो जाता है और कीमत प्रति क्विंटल करीब 10 से 18 हजार रुपए आती है। किराना व्यवसायी रोहित राठौड़ ने बताया कि कलौंजी का बाजार हमारे इस क्षेत्र में कम ही है। यह जावरा, नीमच, मंदसौर वाले इलाके में ज्यादा बिकती है।

कम खर्चे में मुनाफा
शहर के किसान प्रवीण यादव ने बताया कि कलौंजी को पकने में करीब चार महीने का वक्त लगता है। वहीं ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। लगाने में भी कोई विशेष खर्च नहीं आता। उन्होंने बताया कि एक बीघा में दो किलो बीज लगता है। इस बार बीज की कीमत 200 रुपए प्रति किलो थी। यादव करीब एक बीघा में कलौंजी बोई है।