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ईरान से ब्लैक रेड स्टार्ट, यूरेशियन रूडी शेल्डक और साइबेरिया से इंदौर आए सुर्खाब के पांच जोड़े

नेशनल बर्ड वॉचिंग डे आज : शहर के पक्षी प्रेमियों ने राला मंडल पहुंचकर पक्षियों को निहारा

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इंदौर

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Reena Sharma

Nov 12, 2019

ईरान से ब्लैक रेड स्टार्ट, यूरेशियन रूडी शेल्डक और साइबेरिया से इंदौर आए सुर्खाब के पांच जोड़े

ईरान से ब्लैक रेड स्टार्ट, यूरेशियन रूडी शेल्डक और साइबेरिया से इंदौर आए सुर्खाब के पांच जोड़े

इंदौर. देश में पक्षी विज्ञान का सबसे पहले व्यवस्थित अध्ययन करने वाले, पद्मविभूषण से सम्मानित और बर्ड मैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर डॉ. सालिम अली के जन्मदिन को देश भर में नेशनल बर्ड वॉचिंग डे के रूप में मनाया जाता है। शहर में भी पक्षी प्रेमियों ने इस उपलक्ष्य में नेचर ट्रेल आयोजित की और बर्ड वॉचिंग की।

इस मौके पर वाइल्ड लाइफ एंड नेचर कंजरवेंसी ने राला मंडल में वन विभाग के साथ मिलकर नेचर ट्रेल आयोजित की। इसकी शुरुआत डॉ. अली के चित्र पर माल्यार्पण से की गई। संस्था के सचिव राजेश मंगल ने बताया, राला मंडल में बर्ड वॉचिंग के दौरान ब्लैक रेड स्टार्ट नजर आया। इसका गहरा काला और गहरा नारंगी रंग इसे और आकर्षक बनता है। ईरान से आने वाला यह पक्षी पेड़ों पर रहनता है।

सिरपुर को है मेहमानों का इंतजार

पक्षी प्रेमी भालू मोंढे ने बताया, बारिश का मौसम लंबा खिंचने के कारण अभी ठंड का मौसम ठीक से शुरू नहीं हो पाया है। आसमान बादलों से भरा हुआ है। प्रवासी पक्षियों को ज्यादा ठंड के साथ धूप की भी दरकार होती है, इसलिए अभी प्रवासी पक्षियों की तादाद अभी कम है। उम्मीद है कि दो सप्ताह बाद तालाब पक्षियों से भर जाए। फिलहाल रूडी शेल्डक यानी साइबेरिया से आने वाले सुर्खाब के पांच जोड़े आने की खबर है।

वाइल्ड लाइफ नेचर कंजरवेंसी सचिन मतकर, दिनेश गवली, रितेश खाबिया, बीके सारस्वत, श्याम मिश्रा, प्रीति खन्ना, जयेश वजे, सुरेंद्र बागड़ा, पल्लवी वजे, स्वप्निल फणसे ने अन्य सदस्यों के साथ कनाडि़या के पास बड़ोदिया दौलत तालाब और सिरपुर का दौरा भी किया। इन सभी ने बताया, बड़ोदिया दौलत में अभी कोई भी विदेशी पक्षी नहीं आया है। सिरपुर में यूरेशिया से आने वाले रूडी शेल्डक के कुछ जोड़े और एक गे्र लेग गूज नजर आया। गूज भी यूरेशिया से ही आता है। तिब्बत और मंगोलिया से आने वाली लिटिल ग्रैब और कॉमन स्नाइप भी थोड़ी तादाद में दिखे हैं। तालाब में पानी ज्यादा होने से ये पक्षी किनारों से दूर रह रहे हैं। शायद ज्यादा गहराई में उन्हें अच्छा भोजन मिल रहा हो। मौसम अनूकूल होते ही पक्षियों की आमद बढ़ेगी।