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अब ओटीपी कोड से ही खुलेगा दूध के टैंकर का ढक्कन

जीपीएस के बाद मिलावट रोकने के लिए नई कवायद, दूध पर डिजिटल लॉक का पहरा

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इंदौर, खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए प्रशासन लगातार कार्वाई कर रही है। वहीं, अब सरकारी क्षेत्र के उत्पादों की शुद्धता के लिए भी आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। सांची दुग्ध संघ अपने दूध एकत्रण और परिवहन सिस्टम का डिजिटाइजेशन कर रहा है। इसके लिए प्रत्येक टैंकर पर डिजिटल लॉक और जीपीएस लगाए जा रहे हैं। दूध के टैंकर का ढक्कन ओटीपी कोड से ही खुल सकेगा।

इंदौर में यह प्रयोग शुरू हो चुका है। आम तौर पर दूध में पानी या अन्य मिलावट आसानी से की जा सकती है। सहकारी क्षेत्र के दुग्ध उत्पादक सांची द्वारा खरीदारों को शुद्ध दूध उपलब्ध करवाने के लिए टैंकरों के लिए डिजिटल ट्रैंकिंग व मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार किया गया है। इसके तहत पीएच सेंसर युक्त डिजिटल लॉक सभी 45 टैंकरों पर लगाए जा रहे हैं। इंदौर दुग्ध संघ के अध्यक्ष मोतीसिंह पटेल व जीएम एएन द्विवेदी ने बताया, दूध के टैंकरों को अब पूरी तरह से सुरक्षित बनाया जा रहा है।

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इन पर निगरानी के साथ ही लॉक पर भी सेंट्रलाइज कंट्रोल कर रहे हैं। इसके लिए डिजिटल लॉक, व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम-जीपीएस व पीएच सेंसर लगा रहे हैं। यह लॉक दूध टैंकरों के आउटलेट और इनलेट पर लगाएं जाएंगे। उच्च गुणवत्ता के मेकाट्रॉनिक्स लॉक वॉटर फ्रूफ होंगे। यह सामान्य से ज्यादा तापमान पर भी काम कर सकेंगे। मालूम हो, दुग्ध संघों के टैंकरों में गड़बड़ी की कुछ शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद यह कदम उठाया गया।

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मालवा-निमाड़ क्षेत्र के टैंकर पर लग रहे लॉक, पांच-छह टैंकरों पर प्रयोग शुरू किया गया है। हर दिन तीन लाख लीटर से सांची दुग्ध संघ द्वारा हर दिन इंदौर क्षेत्र से दूध को एकत्रित कर पैक कर बाजार में उपलब्ध करवाया जाता है। संघ के मागंलिया स्थिति प्रोसेंसिंग सेंटर पर टैंकर और कैन से रोजाना 3.25 लाख लीटर दूध आता है। दूध के साथ ही मिठाई, दूध पाउडर, आइसक्रीम व अन्य उत्पाद बनाए जा रहे हैं। इस प्रयोग से इनकी गुणवत्ता और शुद्धता बनी रहेगी।

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