अब फिर से देश में संक्रमण के रेकॉर्ड केस आने लगे हैं तो रेमडेसिविर की मांग आसमान पर है। भोपाल, इंदौर सहित कई जिलों में इस इंजेक्शन का स्टॉक खत्म हो गया है। कंपनियों के पास स्टॉक नहीं है और जो बाजार में था, वो कई जगहब्लैक में बिक रहा है। कंपनियों का दावा है कि बाजार में रेमडेसिविर की कमी पूरी होने में कम से कम 10 दिन का वक्त लगेगा। इधर, एआइआइएमएस ने 7 अप्रेल को रिवाइज ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल जारी जाएगा, जिन्हें इलाज में हर दिन 5 लीटर ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाए।
निर्माण के बाद 25 दिन
दरअसल, रेमडेसिविर के निर्माण में पांच दिन लगते हैं। पूरी कवायद में 20 से 25 दिन लगते हैं, लेकिन राज्यों में लग रहे प्रतिबंधों से कच्चे माल की आपूर्ति और परिवहन की समस्या बनी हुई है।
केंद्र ने कहा उत्पादन बढ़ाएं
केंद्र सरकार ने निर्माता कंपनियों माइलान, दटेरो जुबिलेंट लाइफ, सिप्ला, रेड्डीज, वसन फार्मा प्रत्येक को प्रति माह 31.6 लाख शीशियों की अधिकतम क्षमता से उत्पादन को कहा है।
अलग-अलग दावे
डब्ल्यूएचओ रेमडेसिविर की दूरालता पर संदेह जताता रहा पर भारत में डॉक्टर कहते हैं कि आइसीएमआर द्वारा इस पर रोक नहीं लगाए जाने तक उपयोग जारी रखा जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के एसीएस मो. सुलेमान ने दावा किया कि रेमडेसिविर की जरूरत 10% कोरोना मरीजों को होती है। डब्ल्यूएचओ कहता है कि इस इंजेक्शन से न जान बचती है, न मरीज जल्दी ठीक होता है। उन्होंने कहा, सरकार ने रेमडेसिविर के 60 हजार डोज खरीदने के लिए टेंडर निकाले हैं। इस प्रक्रिया में देरी होगी, इसलिए सीएसआर फंड से 50 हजार डोज की खरीदी कर अस्पतालों को दिया जा रहा है। एक कंपनी से 35 हजार डोज निजी अस्पतालों के लिए आरक्षित करने को कहा गया है।
इन राज्यों में कमी
महाराष्ट्र, दिल्ली, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश में रेमंडेसिविर की कमी है। महाराष्ट्र में रोजाना 40 से 50 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शनों की जरूरत पड़ रही है।