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इंदौर।
तेजाजी नगर पुलिस ने सात एजेंट्स को फर्जी मेडिकल दस्तावेज के आरोप में पकड़ा है। इन पर फर्जी सील, हस्ताक्षर और लेटर पैड का उपयोग कर मेडिकल सर्टिफिकेट ड्राइविंग लाइसेंस नवीनीकरण में उपयोग करते थे। आरटीओ ने साफ कर दिया यदि पुलिस की जांच में फर्जी सर्टिफिकेट लगा कर लाइसेंस बनना पाया तो लाइसेंस तो निरस्त होगा ही, ऐसे आवेदक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी। आरटीओ ने अपील भी की कि ऑनलाइन लाइसेंस सुविधा सरकार ने आमजन को कार्यालय के चक्कर न काटना पड़ें और दलालों के चंगुल से मुक्त होकर खुद घर बैठे बना सकते हैं, इसका उपयोग खुद करें, ना कि दलाल के माध्यम से काम कराएं।
ड्राइविंग लाइसेंस, लाइसेंस रिनूअल के लिए परिवहन विभाग ने मार्च से ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की है। इसमें लाइसेंसधारी अपना लाइसेंस खुद दस्तावेज लगा कर रिनूअल फीस भर कर आवेदन कर सकता है। इसमें आधार कार्ड के साथ मेडिकल सर्टिफिकेट भी लगाया जाना है, जिसे सारथी पोर्टल पर अपलोड करना होता है , लेकिन इस व्यवस्था में मेडिकल सर्टिफिकेट की फजीहत से बचने के लिए दलालों के पास पहुंचते हैं। इसी का फायदा उठाकर दलाल मोटी रकम तो लेते ही हैं और साथ ही फर्जी दस्तावेज तक लगा रहे हैं। तेजाजी नगर पुलिस की कार्रवाई में फर्जी दस्तावेज का फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है।
अफसर बुलाते हैं मूल दस्तावेज
सूत्रों की मानें तो आरटीओ में लाइसेंस शाखा के प्रभारी अधिकारी ऑनलाइन दस्तावेज अपलोड होने के बाद वैरिफिकेशन के नाम पर आवेदकों से ओरिजनल लाइसेंस और मेडिकल सर्टिफिकेट बुलाते हैं, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। इस मनमानी की व्यवस्था से ही भ्रष्टाचार की राह खुलती है। इसके नाम पर ही सारा खेल हो रहा है।
500 रुपए फीस, 2000 तक वसूली
वैसे तो आवेदक खुद ही सारी प्रक्रिया कर सकता है, लेकिन आरटीओ में बैठे अधिकारी व्यवस्था में ऐसा पेंच फंसा देते हैं कि आवेदक दलालों के पास जाने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचता है। मूल दस्तावेज सत्यापन भी इसी कड़ी का हिस्सा है।जानकारों का कहना है कि 500 रुपए लाइसेंस नवीनीकरम फीस है। एमपी ऑनलाइन पर जाने पर वहां की फीस 100 रुपए। इसके बाद भी एजेंट 2000 या इससे अधिक रुपए आवेदक से लेते हैं।
300 रुपए देने पर कार्ड प्रिंट
सूत्रों की माने तो आरटीओ में कार्ड प्रिंट का एवजियो ने 300 रुपए का रेट रख रखा है। ये राशि देने के बाद ही संबंधित एजेंट के कार्ड प्रिंट होते हैं। राशि दी तो तुरंत कार्ड भी मिल जाते हैं। करेक्शन होने पर राशि बढ़ जाती है।
एवजी राम की मनमानी
सूत्रों का कहना है कि अफसर के कक्ष में गेट बंद कर राम नामक एवजी लाइसेंस वैरिफिकेशन करता है। अधिकारी इस एवजी पर इतने मेहरबान हैं कि उन्होंने उसे अपना आईडी पासवर्ड तक दे रखा है।
गार्ड बने एजेंट
आरटीओ में सुरक्षा एजेंसी कामथेन कंपनी के गार्ड तैनात हैं, लेकिन कुछ गार्ड सुरक्षा के बजाय दलाली करने में लगे हुए हैं। ये गार्ड खुद एआरटीओ के कक्ष के बाहर उस वक्त तैनात रहते हैं, जब एवजी कक्ष के अंदर बैठकर वैरिफिकेशन करते हैं।
विभाग का नहीं ये काम
घर बैठे ड्राइविंग-लर्निंग लाइसेंस, रिनूअल व करे?शन की सुविधा दी है। ऑनलाइन दस्तावेज अपलोड किए जाते हैं। दस्तावेज जांचने का काम विभाग का नहीं है। यदि किसी ने फर्जी दस्तावेज लगाकर लाइसेंस लिया तो लाइसेंस तो निरस्त होगा ही, एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी।
जितेंद्र रघुवंशी, आरटीओ
Published on:
29 Aug 2022 11:00 am
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