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इंदौर

डरे हुए हैं अभ्यर्थी, बदला जा सकता है राज्यसेवा परीक्षा-2019 का परिणाम, आयोग ने लिखा ‘प्रोविजनल’ !

पीएससी: नियुक्तियों को लेकर आश्वस्त नहीं हैं अभ्यर्थी, फिर बढ़ सकती है परेशानी

इंदौरDec 29, 2023 / 09:17 am

Ashtha Awasthi

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State Service Examination-2019

इंदौर। राज्यसेवा परीक्षा-2019 पीएससी की सबसे ज्यादा उलझी परीक्षा बन चुकी है। इस परीक्षा को लेकर अभी भी पांच से ज्यादा याचिकाएं कोर्ट में लंबित हैं। यदि किसी भी याचिका पर आयोग के विरुद्ध फैसला आता है तो फिर परिणाम बदलने की स्थिति आ सकती है। मंगलवार देर रात जारी राज्यसेवा परीक्षा-2019 के अंतिम परिणाम को ध्यान से देखा जाए तो असल मे यह भी अंतिम नहीं है। इस परिणाम के साथ आयोग ने प्रोविजनल शब्द का प्रयोग किया है। परीक्षा के परिणामों में पीएससी चयन सूची घोषित रहा है, लेकिन इस बार पहली बार प्रावधिक अंतिम चयन सूची शब्द लिख दिया गया है। इसी के चलते अभ्यर्थी नियुक्तियों को लेकर आश्वस्त नहीं हो पा रहे है। उन्हें डर है कि पहले की तरह इस बार भी नियुक्ति खतरे में न पड़ जाए।

राज्यसेवा परीक्षा 2019 का परिणाम आयोग ने 44 पन्नों में घोषित किया है। इसमें पहले पेज पर अब तक हुई परीक्षाओं और चयन प्रक्रिया का ब्योरा दिया गया है। इसमें पहली बार पॉइंट नं. 6 में प्रावधिक चयन सूची लिखने के साथ ही उसे अंडरलाइन भी किया है। बीते कई परिणामों में आयोग सिर्फ अंतिम चयन सूची शब्द लिखता रहा है, लेकिन इस बार प्रावधिक शब्द का इस्तेमाल करने से अभ्यर्थी परेशान है।

सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिकाएं

परिणाम के आखिरी पेज पर जहां सचिव प्रबल सिपाहा के हस्ताक्षर हैं, उसके ऊपर पीएससी ने परिणाम पर टीप लिखी है। इसमें चार बिंदुओं में स्पष्ट किया गया है कि कुछ रिक्तियों पर योग्य उम्मीदवार नहीं मिले और चयन सूची किस तरह व किन नियमों से बनाई गई है। एक अन्य बिंदु में चयन सूची के साथ प्रावधिक शब्द का इस्तेमाल करने का कारण स्पष्ट करते हुए लिखा कि सुप्रीम कोर्ट में लगी दो याचिकाओं और उनसे संबद्ध याचिकाओं के साथ ही हाईकोर्ट में भी इस परीक्षा व प्रक्रिया को लेकर याचिकाएं लंबित हैं। जो चयन परिणाम घाषित किया गया है, वह इन याचिकाओं पर आने वाले कोर्ट के अंतिम निर्णय के अध्याधीन रहेगा।

पहले रद्द हो चुके परिणाम

आयोग ने 2021 में राज्यसेवा परीक्षा-2019 का परिणाम जारी किया था। उस समय आयोग पर सिविल सेवा के नियमों का पालन नहीं करने के आरोप लगे और मामला हाइकोर्ट पहुंच गया। हाइकोर्ट के निर्णय के बाद आयोग को परिणाम रद्द करना पड़े। इसके बाद एक अन्य याचिका लगाई गई, उस पर आए कोर्ट के निर्णय के बाद आयोग ने नया परिणाम जारी किया।

क्यों डरे हुए हैं अभ्यर्थी

यह परिणाम आने के बाद एक बार फिर मामला सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट उस समय पहुंचा जब आयोग ने विशेष परीक्षा आयोजित की। दरअसल, एक बार मुख्य परीक्षा होने के बाद आयोग ने विशेष मुख्य परीक्षा आयोजित की, जिसमें 2700 उम्मीदवार शामिल हुए। इसके बाद इंटरव्यू के लिए अभ्यर्थियों की जो नई सूची जारी हुई, उसमें कुछ पुराने अभ्यर्थी बाहर हुए और जो पूर्व में असफल हुए थे, वे सूची में शामिल हो गए। इसको लेकर फिर सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं लगाई गईं, जिसमें पीएससी की प्रक्रिया को गलत बताते हुए मुख्य परीक्षा फिर से आयोजित करवाने की मांग की गई। ऐसी ही कुछ याचिकाएं इंदौर और जबलपुर हाइकोर्ट में भी लंबित हैं। इनमें से किसी एक भी याचिका का निर्णय आयोग के खिलाफ आता है तो एक बार फिर चयन प्रक्रिया रद्द होने की स्थिति बन सकती है। इन मामलों को देखते हुए अभ्यर्थी डरे हुए हैं।

 

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