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देश में बनी रहेगी समृद्धि व खुशहाली, विशेष ज्योतिषिय योग संयोग में होगी घटस्थापना

शारदीय नवरात्रि का आरंभ 26 सितंबर, सोमवार को घटस्थापना के साथ होगा, वहीं समापन (विसर्जन) 5 अक्टूबर, बुधवार दशहरा को होगा। नवरात्र पूरे 9 दिनों के होंगे, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होगी।

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इंदौर

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Lavin Owhal

Sep 16, 2022

देश में बनी रहेगी समृद्धि व खुशहाली, विशेष ज्योतिषिय योग संयोग में होगी घटस्थापना

देश में बनी रहेगी समृद्धि व खुशहाली, विशेष ज्योतिषिय योग संयोग में होगी घटस्थापना

इंदौर. इस वर्ष शारदीय नवरात्र का आरंभ हस्त नक्षत्र, शुक्ल व ब्रह्म योग, कन्या राशि का चंद्र व कन्या ही राशि के सूर्य में आनंदादि महायोग ‘श्रीवत्स’ में हो रहा है। नवरात्रि के पूरे 9 दिनों की होगी। वर्षों बाद इस बार मां जगदम्बा हाथी पर सवार होकर आ रही है व हाथी पर ही सवार होकर बिदा होगी।
आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक ने बताया कि वर्ष में कुल चार चैत्र, आषाढ़, अश्विन व माघ माह की नवरात्रियां होती है। आश्विन माह की नवरात्रि शरद ऋतु में आती है इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। शारदीय नवरात्रि का आरंभ 26 सितंबर, सोमवार को घटस्थापना के साथ होगा, वहीं समापन (विसर्जन) 5 अक्टूबर, बुधवार दशहरा को होगा। नवरात्र पूरे 9 दिनों के होंगे, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होगी। 26 सितंबर की रात 3.08 बजे तक रहेगी। हस्त नक्षत्र दूसरे दिन सुबह 6.15 बजे तक रहेगा। शक्ल योग सुबह 8.03 बजे तक बाद में ब्रह्मा योग दूसरे दिन सुबह 6.42 बजे तक पर्व की शोभा बढ़ाएगा।
सुख, शांति व समृद्धि के संकेत
अगले सोमवार से नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं, अत: मां का आगमन हाथी पर होगा, जो समृद्धि व खुशहाली का प्रतीक है। माता की बिदाई भी हाथी पर होगी (मतांतर से नाव)। देवी भागवत के अनुसार जब मां का आगमन व बिदाई हाथी पर होती है तो देश में खुशहाली का वातावरण निर्मित होता है। पर्याप्त वर्षा से जनता प्रसन्न होती है। बाजार और व्यापार पर इसका शुभ प्रभाव पड़ता है। बुध प्रधान कन्या राशि का चंद्रमा व सूर्य और बृहस्पति प्रधान गुरु सुख, शांति व समृद्धि के संकेत दे रहे हैं।
नवरात्र में घटस्थापना
ज्वारे रोपण नवदुर्गाओं की क्रमश: पूजन-अर्चन, दुर्गा सप्तशती के सात सौ महामंत्रों से हवन, कन्या पूजन व अपनी कुल परंपरा के अनुसार कुल देवी पूजन व उपवास का विशेष महत्व है। घट (कलश) स्थापना प्रतिपदा को सुबह ब्रह्ममुहूर्त, चौघडिय़ा मुहूर्त व अभिजीत मुहूर्त में अपनी अपनी कुल परंपरा अनुसार शुभ रहेगी।
-- 9 दिन मां के 9 रूपों का होगा पूजन --
26 सितंबर, प्रतिपदा को मां शैलपुत्री
27 सितंबर, द्वितीया को मां ब्रह्मचारिणी
28 सितंबर, तृतीया को चंद्रघंटा
29 सितंबर, चतुर्थी को कुष्मांडा
30 सितंबर, पंचमी को स्कंदमाता
01 अक्टूबर, षष्ठी को कात्यायनी
02 अक्टूबर, सप्तमी को कालरात्रि
03 अक्टूबर, महाष्टमी को महागौरी
04 अक्टूबर, महानवमी को समापन व विसर्जन