
नई दिल्ली। अरबों रुपए के कर्ज वाली एअर इंडिया ( Air India ) को क्या कोई भी खरीदने को तैयार नहीं है? क्या सरकार के इस सफेद हाथी में किसी प्राइवेट फर्म को दिलचस्पी नहीं है? यह सवाल इसलिए हैं क्यों कि सरकार ने इसके एअर इंडिया ( Air India Disinvestment ) बिड की आखिरी डेट 30 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी है। ऐसा चौथी बार है जब सरकार को एअर इंडिया बिड की लास्ट डेट ( Air India Bid Last Date ) को आगे खिसकाना पड़ा है। सरकार ने यह डेट कोविड 19 ( Covid 19 ) के प्रसार को देखते हुए आगे बढ़ाई है। आपको बता दें कि इससे पहले इसकी आखिरी तारीख 31 अगस्त रखी गई थी।
सरकार को उम्मीद
सरकार के घाटे का सौदा बन रही एअर इंडिया से अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए 27 जनवरी को नोटिस जारी किया था और 17 मार्च तक बोलिया मंगाई थी। तब से अब तक सरकार को कोई ऐसा खरीदार नहीं मिल पाया है जो एअर इंडिया को संभाल सके। सरकार को उम्मह है कि अगे दो महीनों में एअर इंडिया का विनिवेश हो जाएगा।
क्या है सरकार का प्लान
सरकार के प्लान के अनुसार एअर इंडिया एक्सप्रेस की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेची जाएगी। साथ ही एअर इंडिया और एसएटीएस की जॉइंट वेंचर कंपनी एआईएसएटीएस में एअर इंडिया की 50 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का भी प्लान है। एअर इंडिया का मैनेजमेंट कंट्रोल भी बोली जीतने वाली कंपनी के पास होगा। इसके लिए सरकार की ओर से कुछ शर्तें भी रखी हैं। खरीदार को एअर इंडिया के सिर्फ 23,286.5 करोड़ रुपये के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी होगी।
7 जनवरी को जीओएम ने लगाई थी मुहर
आपको बता दें कि मौजूदा समय में एआई पर टोटल 60,074 करोड़ रुपए का कर्ज है। करीब 37,000 करोड़ रुपए के कर्ज का भार सरकार खुद उठाएगी। वित्त वर्ष 2018-19 में एअर इंडिया को 8,556 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ था। इसी साल 7 जनवरी को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने निजीकरण से जुड़े प्रस्ताव पर मुहर लगा दी थी।
Updated on:
26 Aug 2020 09:34 am
Published on:
26 Aug 2020 09:25 am
बड़ी खबरें
View Allउद्योग जगत
कारोबार
ट्रेंडिंग
