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आपस में लड़ रहे अमरीका आैर चीन लेकिन इससे भारत को हाे रहा ये बड़ा फायदा

अमरीका आैर चीन के बीच चल रहे ट्रेड वाॅर से भारत के काॅटन इंडस्ट्री को बड़ा फायदा हो रहा है।

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Trade War

आपस में लड़ रहे अमरीका आैर चीन लेकिन इससे भारत को हाे रहा ये बड़ा फायदा

नर्इ दिल्ली। अमरीका आैर चीन के बीच चल रहे ट्रेड वाॅर से वैश्विक बाजार भले ही सहमा हुआ हो लेकिन भारत को इससे एक बड़ा फायदा होने वाला है। दरअसल इस ट्रेड वाॅर से वैश्विक काॅटन बाजार में भारत को बड़ा फायदा होने वाला है। आपको बता दें कि अमरीका दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है वहीं चीन सबसे बड़े खरीदारों है। वहीं दूसरी तरफ डाॅलर के मुकाबले रुपए में कमजोरी भारत के निर्यात को आैर अधिक आकर्षक बना रही है। मंगलवार को कॉटन की कीमतें न्यूयॉर्क में आईसीई फ्यूचर्स यूएस पर एक्सचेंज सीमा से गिर गई और 6 जून को चार साल के उच्चतम 94.82 सेंट की गिरावट के साथ 12% पर पहुंची।


काॅटन की बढ़ती मांग को पूरा कर रहा भारत
विदेशी बाजारों में कॉटन की बढ़ती मांग से दो सप्ताह के दौरान सूती धागे के दामों में 10 प्रतिशत से अधिक की उछाल आई है। अमरीका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार से चीन ने अमरीका से आयात किए जाने वाले कॉटन पर 25 फीसदी का शुल्क लगाया हैं। चीन की इस मांग को भारत से आयात के जरिये पूरी किया जा रहा है। वर्तमान में 40 काउंट सूती धागा 240 रुपये प्रति किलोग्राम पर चल रहा है, जबकि इस महीने की शुरुआत में इसके दाम 215-218 रुपये प्रति किलोग्राम थे।


मांग में आर्इ अचानक तेजी
लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार राजकोट के सूती धागे निर्माताओं का कहना है की दामों में यह मौजूदा उछाल चीन और बांग्लादेश जैसे आयात करने वाले देशों की ओर से इसकी मांग में अचानक आई तेजी की वजह से है। वर्तमान में भारत ने सबसे बड़े खरीदार चीन से पांच लाख गांठों अनुबंध किया है। चीन ने इस सीजन में अमेरिका से लगभग 1.5 मिलियन कॉटन खरीदा।


इस साल काॅटन उत्पादन वृद्धि की संभावना
भारत के कपास एसोसिएशन ने पिछले हफ्ते कहा है इस बार भारत कॉटन निर्यात में वृद्धि होने की संभावना हैं। जबकि उत्पादन में भी 8.3% की वृद्धि होगी। भारत सरकार अतिरिक्त आयात कोटा जारी करने की योजना भी बना रही है क्योंकि प्रतिकूल मौसम ने घरेलू फसल को नुकसान पहुंचाया है, और उच्च गुणवत्ता वाले फाइबर लूम में कमी आयी है। अमरीका में कपास वायदा इस वर्ष 21% तक बढ़ गया क्योंकि सूखे ने पश्चिमी टेक्सास के शीर्ष उत्पादक क्षेत्र में फसल की संभावनाओं को खत्म कर दिया।