
Dot may give to Jio half AGR Dues bill of Rcom
नई दिल्ली। टेलीकॉम कंपनियों का एजीआर मामला हर सुनवाई में नया मोड़ ले रहा है। एयरटेल और वोडा आइडिया के बाद अब मामला रिलायंस कंयूनिकेशन ( Reliance Communication ) और रिलायंस जियो ( Reliance Jio ) के बीच फंस गया है। टेलीकॉम डिपार्टमेंट ( Telecom Department ) रिलायंस जियो को 13 हजार करोड़ रुपए एजीआर बकाए ( AGR Dues ) का नोटिस जारी कर सकता है। यह बकाया आरकॉम के एजीआर की आधी बकाया राशि है।
जियो कर रहा है Rcom Spectrum का इस्तेमाल
चार साल पहले जियो ने आरकॉम के 800 मेगाहट्र्ज बैंड में से 47.50 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम का अधिग्रहण किया था। स्पेक्ट्रम को 13 सर्किलों में अधिग्रहित किया गया था और वर्तमान में इसका उपयोग जियो द्वारा 4जी सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जा रहा है। इसके अलावा, जियो 15 सर्किलों में आरकॉम के स्पेक्ट्रम शेयर कर रहा है। इस प्रकार, 800 मेगाहट्र्ज बैंड में आरकॉम का कुल 58.75 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम वर्तमान में जियो द्वारा उपयोग किया जा रहा है। आपको बता आरकॉम का कुल एजीआर बकाया लगभग 25,194.58 करोड़ रुपए है।
सुप्रीम कोर्ट ने किया था सवाल
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को आरकॉम, रिलायंस लियो और टेलीकॉम डिपार्टमेंट से सवाल किया था कि स्पेक्ट्रम यूज करने पर जियो से एजीआर भुगतान क्यों नहीं लिया जाना चाहिए? कोर्ट ने तीनों को आज यानी सोमवार तक जवाब देने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने शुक्रवार को कहा था कि रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड को रिलायंस कम्युनिकेशंस के एजीआर की बकाया राशि का भुगतान क्यों नहीं करना चाहिए। क्योंकि वह 2016 के बाद से स्पेक्ट्रम का उपयोग कर रहा है। कंपनी के करीबी सूत्र के अनुसार रिलायंस जियो का रिलायंस कम्युनिकेशंस के साथ चार साल पुराना दूरसंचार स्पेक्ट्रम साझेदारी सौदा, आरकॉम की पिछली सांविधिक देनदारियों से नहीं जुड़ा है, जो 2016 से पहले की है, जब जियो ऑपरेशनल में नहीं थी।
कोर्ट में यह जवाब दे सकती है जियो
मामला कोर्ट में होने की वजह से नाम ना प्रकाशिक करने की शर्त पर इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने जानकारी दी कि रिलायंस जियो ने अप्रैल 2016 में आरकॉम और उसकी इकाई रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड के स्पेक्ट्रम शेयरिंग का एग्रीमेंट किया था। यह स्पेक्ट्रम शेयरिंग 800 मेगाहट्र्ज बैंड तक सीमित थी और टेलीकॉम डिपार्टमेंट के स्पेक्ट्रम शेयरिंग नियमों के अनुसार थी। आरकॉम के 1,800 मेगाहट्र्ज बैंड के 2जी, 3जी और 4जी स्पेक्ट्रम को शेयर नहीं किया गया था।
उस समय जियो ऑपरेशन में नहीं था
सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार आरकॉम और आरटीएल का एजीआर बकाया इस स्पेक्ट्रम एग्रीमेंट से जुड़ा हुआ नहीं है। उनके अनुसार शेयरिंग स्पेक्ट्रम से हुई इनकम पर आरकॉम/आरटीएल और आरजेआईएल दोनों ने एजीआर का भुगतान किया है।2016 से पहले आरकॉम/आरटीएल के 2जी/3 जी कारोबार से संबंधित एजीआर बकाया का इस स्पेक्ट्रम साझेदारी से मतलब नहीं है, क्योंकि उस समय रिलायंस जियो ऑपरेशन में नहीं था।
Updated on:
17 Aug 2020 11:10 am
Published on:
17 Aug 2020 11:06 am
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