फियो ने किया आयात कम करने का विरोध, कहा, सरकार निर्यात बढ़ाने पर दे जोर
फियो के अध्यक्ष गणेश गुप्ता ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद के सामने कैड का 2.5 फीसदी पर होना चिंता की बात नहीं है। देश के पास विदेशी मुद्रा का उपयुक्त भंडार है जो कि आगामी 10 माह के आयात के लिये काफी है।
फियो ने किया आयात कम करने का विरोध, कहा, सरकार निर्यात बढ़ाने पर दे जोर
नर्इ दिल्ली। चालू घाटे को कम करने के लिए सरकार के आयात कम करने जैसे उठाए गए कदमों का विरोध होना शुरू हो गया है। विरोध करने वालों का मानना है कि इससे मेक इन इंडिया को गहरा झटका लगेगा। भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ फियो का कहना है कि देश को आयात कम या खत्म करने की जगह निर्यात को बढ़ावा देना चाहिए। चालू घाटे को कम करने के लिए आयात बंद या कम करना बेहतर विकल्प नहीं है।
आयात कम करने पर नहीं निर्यात बढ़ाने पर जोर
फियो के अध्यक्ष गणेश गुप्ता ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद के सामने कैड का 2.5 फीसदी पर होना चिंता की बात नहीं है। देश के पास विदेशी मुद्रा का उपयुक्त भंडार है जो कि आगामी 10 माह के आयात के लिये काफी है। वहीं दूसरी आेर फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि सरकार को निर्यातकों के लिये जल्द ही नकदी की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। यदि सरकार को गैर-जरूरी उत्पादों के आयात पर अंकुश लगाना ही है तो उसे महंगे इलेक्ट्रानिक सामानों, रेफ्रिजरेटर, घड़ियों, सोना और महंगे जूते और कपड़ों पर यह अंकुश लगाने पर विचार किया जा सकता है। हालांकि, व्यापार निर्यातकों ने सोने जैसी वस्तु पर आयात प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर चिंता जताई है।
इसे कहते हैं चालू घाटा
चालू खाते का घाटा यानी कैड देश में आने वाली और देश से बाहर निकलने वाली कुल विदेशी मुद्रा के अंतर को कहते हैं। जब कम विदेशी मुद्रा आती है और बाह्य प्रवाह अधिक होता है तो यह घाटे की स्थिति होती है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह घाटा जीडीपी का 2.4 फीसदी रहा। व्यापार घाटा बढ़ने और डालर के मुकाबले रुपये में गिरावट आने से कैड पर दबाव बढ़ रहा है। 12 सितंबर को अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपया गिरकर अब तक के सबसे निचले स्तर 72.91 रुपये प्रति डालर तक गिर गया। हालांकि कारोबार की समाप्ति पर यह 71.84 रुपये प्रति पर बंद हुआ।
यह लिए सरकार ने फैसले
आपको बता दें कि सरकार ने गिरते रुपए और बढ़ते कैड को नियंत्रित करने के लिए शुक्रवार को कई कदमों की घोषणा की है। मसाला बांड पर विदहोल्डिंग कर हटाने, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में राहत और गैर- जरूरी आयातों पर अंकुश लगाने का फैसला किया गया है।
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