
Charging Station
नई दिल्ली। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए ऊर्जा मंत्रालय की ओर से चार्जिंग स्टेशनों को अब तक की सबसे बड़ी ढील दी है। अब उन्हें चार्जिंग स्टेशन को खोलने के लिए किसी तरह के कोई लाइसेंस की जरुरत नहीं होगी। बिजली संबंधी कानून के तहत बिजली के ट्रांसमिशन, वितरण व कारोबार के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है। इसलिए सभी इकाइयों को उपभोक्ताओं को बिजली बेचने के लिए लाइसेंस लेना पड़ता है।
ताकि अधिक से अधिक खुल सकें चार्जिंग स्टेशन
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिग के दौरान स्टेशन बिजली ट्रांसमिशन, वितरण या कारोबार का कोई काम नहीं करता। इसलिए चार्जिंग स्टेशन के जरिए वाहनों की बैटरी की चार्जिग के लिए बिजली कानून, 2003 के तहत किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी। इससे चार्जिंग स्टेशनों को खोलने में बढ़ावा मिलेगा। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्जिंग स्टेशनों की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा। जब चार्जिंग स्टेशनों की मात्रा अधिक होगी तो आम लोग भी इलेक्ट्रिोनिक वाहनों की ओर ज्यादा से ज्यादा मूव करेंगे।
संगठन ने दिलाया और भी मुद्दों पर ध्यान
वहीं इलेक्ट्रिक वाहन निर्मातओं के संगठन एसएमइलेक्ट्रिकवी के निदेशक सोहिंदर गिल ने सरकार की इस फैसले को एक अच्छा और प्रगतिशील कदम बताया है। उन्होंने कहा कि देश में चार्जिंग स्टेशन बनाने की दिशा में यह एक बड़ी परेशानी थी। एसएमइलेक्ट्रिकवी ने सरकार को कुछ और बातों पर ध्यान देने को कहा है। संगठन का कहना है कि सरकार को अब चार्जिंग स्टेशनों के लिए जमीन अधिग्रहण सहित अन्य मुद्दों पर भी ध्यान देने की जरुरत है। सरकार की ओर से अभी तक इस मामले में कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।
बढ़ रहा है लगातार प्रदूषण
इलेक्ट्रिक वाहनों को भारत का भविष्य इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि पिछले साल WHO द्वारा आई रिपोर्ट के मुताबिक सबसे प्रदूषित शहरों में 13 शहर अकेले भारत के थे और भारतीय सड़कों पर पेट्रोल डीजल वाहनों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो देश में 1.2 मिलियन लोगों की मृत्यू प्रदूषण के कारण होती है।
Published on:
17 Apr 2018 10:41 am
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