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गन्ने के एफआरपी में वृद्धि से बढ़ेगी मिलों की मुश्किलें : इस्मा

चीनी मिलों के शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने कहा है कि सरकार के इस कदम से चीनी मिलों के सामने संकट आ जाएगा।

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गन्ने के एफआरपी में वृद्धि से बढ़ेगी मिलों की मुश्किलें : इस्मा

नई दिल्ली। देश की चीनी मिलों के शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने बुधवार को कहा कि सरकार की ओर से अगले सीजन के लिए गन्ने के लाभकारी मूल्य में वृद्धि करने से मिलों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों के लिए तोहफे का एलान करते हुए बुधवार को गन्ने का लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 20 रुपए बढ़ाकर 275 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया। सरकार के इस फैसले के बाद इस्मा ने एक बयान जारी कर कहा कि चालू सत्र में 9.5 फीसदी रिकवरी दर के आधार पर गन्ने का एफआरपी 255 रुपये प्रति क्विंटल होने पर भी मिलों के पास किसानों का बकाया जून के अंत में 18,000 करोड़ रुपए था। इस्मा ने कहा कि पहली बार गन्ने की कीमतों की बकाया राशि इतनी अधिक हो गई है जोकि अब तक की सबसे ज्यादा राशि है।

सरकार के कदम से मिलों पर बढ़ेगा बोझ

उद्योग संगठन ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले जून में मिलों पर किसानों का बकाया करीब 14,000-15,000 रुपए ज्यादा है, इसलिए 10 फीसदी रिकवरी दर पर सरकार की ओर से एफआरपी 275 रुपए तय करने से मिलों पर और बोझ पड़ेगा। इस्मा ने कहा कि सरकार जब तक कोई ठोस उपाय नहीं करेगी तब तक किसानों को गन्ने के दाम का भुगतान करना मिलों के लिए मुश्किल होगा। उद्योग संगठन ने कहा कि सरकार को ऐसा उपाय करना चाहिए ताकि चीनी का एक्स मिल रेट कम से कम 35 रुपए प्रतिकिलो हो।

किसानों को भुगतान के लिए चीनी निर्यात बढ़ाने की जरूरत

इस्मा ने कहा कि मिलों के पास नकदी का प्रवाह बढ़ाने के लिए 60 से 70 लाख टन चीनी निर्यात करने के उपाय करने की जरूरत है। उद्योग संगठन के अनुसार अगले सीजन में चीनी का उत्पादन 350-355 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि सालाना घरेलू खपत महज 255 लाख टन है। इस्मा ने कहा कि अगले साल मिलों को गन्ने की कीमतों के रूप में 97,000 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा, जोकि मिलों के लिए मुश्किल होगा।