
नई दिल्ली. सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को जेपी एसोसिएट्स को दो किस्तों में 31 दिसंबर तक 275 करोड़ रुपए जमा करने को कहा। इसके साथ ही अदालत ने जेपी एसोसिएट्स को फटकार लगाते हुए 'एक अच्छे बच्चे की तरह व्यहार' करने की नसीहत दी। अदालत के इस आदेश को जेपी एसोसिएट्स के लिए राहत के तौर पर देखा जा रहा है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की पीठ ने रियल एस्टेट की दिग्गज कंपनी को 275 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि जमा कराने को कहा है।
दो किस्तों में देना होगा पैसा
अदालत ने जेपी एसोसिएट्स को 14 दिसंबर तक 150 करोड़ रुपए व अन्य 125 करोड़ रुपए 31 दिसंबर तक जमा करने का निर्देश दिया। अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 10 जनवरी निर्धारित की है। अदालत ने कहा कि संरक्षक निदेशकों व स्वतंत्र निदेशकों में से कोई भी अपनी निजी संपत्ति को हस्तांतरित नहीं करेगा।
अदालत की अनुमति से ही प्रॉपटी बेचने की अनुमति
कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि कंपनी के डायरेक्टर्स और प्रमोटर्स, अपनी या परिवार की प्रॉपर्टी बिना कोर्ट की मंजूरी के नहीं बेच सकते हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जेपी इन्फ्राटेक 27 अक्टूबर तक दो हजार करोड़ रुपए जमा कराने को कहा था। साथ ही घर खरीदारों की अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के डायरेक्टर्स के देश छोड़ने पर भी रोक लगा दी थी।
घर खरीदारों का फंसा है 25 हजार करोड़
उल्लेखनीय है कि जेपी के कई प्रोजेक्ट्स में घर खरीदारों का करीब 25 हजार करोड़ रुपए फंसा है। कंपनी के प्रोजेक्ट्स में करीब 32 हजार लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे। घर खरीदार ने कंपनी पर इन्सॉल्वेंसी प्रॉसेस रोकने के लिए कोर्ट से अपील किया था लेकिन कोर्ट ने कंपनी पर इन्सॉल्वेंसी की प्रक्रिया शुरू करने की मंजूरी दे दी।
Published on:
22 Nov 2017 06:03 pm
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