12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पर्यावरण दिवस विशेषः जूट सिर्फ रोजगार ही नहीं देता, पर्यावरण में भी करता है सुधार

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव सीके मिश्रा ने बताया कि 'टूथ ब्रश के बेकार होने के बाद उसे हम फेंक देते हैं,जो आबोहवा के लिए सबसे नुकसानदेह है।

3 min read
Google source verification

image

Saurabh Sharma

Jun 05, 2018

Jute

पर्यावरण दिवस विशेषः जूट सिर्फ रोजगार ही नहीं पर्यावरण में करता है सुधार

नर्इ दिल्ली। 'हम छोटी छोटी आदतों में सुधार कर पर्यावरण के साथ दोस्ताना हो सकते हैं।' यह बात विश्व पर्यावरण दिवस के दिन जूट फाउंडेशन के उदघाटन समारोह में मुख्य अतिथि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव सीके मिश्रा ने कही। मिश्रा ने उदाहरण देते हुए बताया कि 'टूथ ब्रश के बेकार होने के बाद उसे हम फेंक देते हैं,जो आबोहवा के लिए सबसे नुकसानदेह है। उसी तरह अपने वाहनों के आंतरिक साज-सज्जा में प्रयुक्त साधनों से प्लास्टिक कचरा बढ़ता जा रहा है।' मिश्रा ने इसके विकल्प के तौर पर जूट के प्रचलन की नसीहत दी। वहीं इस मौके पर जूट फॉउंडेशन की स्थापना की गई है ।

जूट फाउंडेशन का किया गया उद्घाटान
समारोह की शुरुआत में जूट फाउंडेशन के चेयरमैन सिद्धार्थ सिंह ने जोर देकर कहा कि दुनिया भर मे जूट उत्पादन के मामले में हम अग्रणी हैं।इस लिहाज से समूची दुनिया को हम जूट की उपायोगिता का संदेश देना चाहते हैं। इसी वजह से फाउंडेशन का उद्घाटन विश्व पर्यावरण दिवस के दिन किया गया है। सिंह ने अपनी इच्छा बताई कि हम एक जूट मार्क बनाना चाहते हैं जो उत्तम क्वालिटी का जूट बाजार को उपलब्ध करवाएंगे। इस कदम से किसान,मजदूर,कारीगर,जूट व्यापारी को और ग्राहकों के लिए सुविधाएं मिल पाएंगीं। सिंह ने भारत मे जूट के अच्छे भविष्य की संभावना व्यक्त की। 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जूट फॉउंडेशन की स्थापना की गई। स्थापना समारोह लोधी रोड स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर के सिल्वर ओक में आयोजित किया गया।

जूट की उपयोगिता बढ़ाने पर जोर
समारोह को ख़ास तौर से सम्बोधित करते हुए भारत सरकार के कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव एसके पटनायक ने भी आम ज़िन्दगी में जूट की उपयोगिता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने जूट के उत्पाद की गुणवत्ता की जरूरतों को ध्यान में रखकर उत्तम क्वालिटी के बीज और अन्य साधनों की उपलब्धता की ओर ध्यान आकृष्ट करवाया। केंद्र सरकार की ओर दी गर्इ सुविधाओं को लेकर उन्होंने जूट उत्पादकों के लिए हर संभव प्रोत्साहन की बात की। बाजार में जूट की मांग दिनोंदिन बढ़ने की बात पटनायक ने की।

50 लाख लोगों को मिलता है रोजगार
जानकारों की मानें तो जूट के उत्पादन से मिट्टी में नाइट्रोजन, फोस्फरस और पोटेसियम की मात्रा बढ़ती है तथा वातावरण में 13.5 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता है और 10मिलियन टन ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है। जूट उत्पादन से 50 लाख परिवारों को रोजगार पैदा करता है।

यूएन ने दी यह सलाह
इस अवसर पर एरिक सोल्हेम, अंडर सेक्रेटरी जनरल, यूनाइटेड नेशंस व कार्यकारी निदेशक, यूएन एनवायरनमेंट मुख्य भाषण में अपनी आदतों में सुधार करने की सलाह दी। सोल्हेम ने दुनिया भर के कई मुल्कों में प्लास्टिक कचरा से पैदा हुई समस्या की ओर सबका ध्यान खींचा। जैसे शीतल पेय के लिए बोतल के साथ स्ट्रॉ के उपयोग, समुद्र में पर्यटकों द्वारा प्लास्टिक बोतल फेंकने से जलीय जीवों की तबाह हो रही ज़िन्दगी से पारिस्थितिकी का भयानक संकट पैदा हो चुका है।