25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

यूएस फेड के रेट बढ़ा़ने से मार्केट, सोना, स्टार्टअप्स को अधिक नुकसान, आयात महंगा

मजबूत होती अमरीकी अर्थव्यवस्था को देखते हुए फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इसके चलते अमरीका में ब्याज दरें बढ़कर 0.50 से 0.75 फीसदी हो गई हैं। फेड ने अगले साल ब्याज दरों में तीन और बढ़ोतरी की संभावना जताई है। एक्सपर्ट का मानना है कि ब्याज दर बढऩे से डॉलर इंडेक्स में मजबूती आएगी और रुपए के मूल्य में और गिरावट। 

2 min read
Google source verification

image

umanath singh

Dec 15, 2016

Federal reserve

Federal reserve

नई दिल्ली. मजबूत होती अमरीकी अर्थव्यवस्था को देखते हुए फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इसके चलते अमरीका में ब्याज दरें बढ़कर 0.50 से 0.75 फीसदी हो गई हैं। फेड ने अगले साल ब्याज दरों में तीन और बढ़ोतरी की संभावना जताई है। एक्सपर्ट का मानना है कि ब्याज दर बढऩे से डॉलर इंडेक्स में मजबूती आएगी और रुपए के मूल्य में और गिरावट। इसका प्रतिकूल असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर होगा। इससे मार्केट में औैर गिरावट आ सकती है। वहीं, क्रूड महंगा होने से भारत सरकार के लिए मुसीबत और बढऩे जा रही है। इससे पेट्रोल-डीजल महंगा होना लगभग तय है, जिससे महंगाई के मोर्चे पर भी सरकार के लिए संकट गहरा सकता है। फेड ने इसके बाद कम से कम तीन बार और रेट रिवाइज के संकेत दिए हैं, ऐसे में उसका यह आक्रामक रुख भारत के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है।

फेड ने क्यों बढ़ाई ब्याज दर

अमरीकी इकोनॉमी लगातार मजबूत हो रही है। इकोनॉमी से जुड़े कई अहम सेक्टर के हालिया नतीजे उत्साहवर्धक रहे हैं। बेरोजगारी का स्तर पिछले ८ साल में सबसे नीचे है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से घरेलू इंडस्ट्री को और मजबूती मिलने की संभावना है। रोजगार की उत्साहवर्धक स्थिति को देखते हुए माना जा रहा है कि अगले साल बेरोजगारी दर और कम होकर 4.5 फीसदी पर आ जाएगी और फिर इसके करीब बनी रहेगी। बेरोजगारी की इस दर को पूर्ण रोजगार का सूचक माना जाता है। इन वजहों से फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर बढ़ाई है।

क्या होगा भारत पर असर

मार्केट एक्सपर्ट रजनीश खोसला ने पत्रिका को बताया कि फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दर बढ़ाने का नकारात्मकअसर भारत जैसे इमर्जिंग इकोनॉमी को होगा। आने वाले दिनों में फेड के इस फैसले से डॉलर इंडेक्स 105 से 108 पर पहुंच सकता है, वहीं रुपए में और गिरावट आएगी। इससे आयात महंगा होगा और इसका सबसे ज्यादा असर क्रूड कीमतों पर होगा। विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकालेंगे, जिससे बाजार में और गिरावट रहेगी। अमरीका में काम कर रही भारतीय कंपनियों पर भी इसका निगेटिव असर होगा। नोटबंदी के बाद विकास दर मेें गिरावट की आशंका है। फेड के इस फैसले से इसे बल मिलेगा।

सोने गिरेगा, स्टार्टअप्स को नुकसान

खोसला के अनुसार ब्याज दर बढ़ाने का सोने की कीमत पर नेगेटिव असर होगा। इससे आने वाले दिनों में सोने की कीमत में गिरावट आएगी। ऐसे में निवेशक को सोने में निवेश से दूरी बनाकर रखना चाहिए। अब निवेशक अमरीका में निवेेश को प्राथमिकता देंगे। वेंचर कैपिटल, पेंशन फंड और इक्विटी फंड एशिया महादेश में पैसा लगाने की जगह अमरीका में लगाएंगे। इससे भारतीय स्टार्टअप के लिए फंड जुटाना मुश्किल होगा और मार्केट वैल्यूएशन कम होगी।

इलेक्ट्रिानिक गुड्स महंगे होंगे

डॉलर मजबूत होने से आयात महंगा होगा। इसका असर इलेक्ट्रॉनिक गुड्स औैर इम्पोर्टेड कार, मोबाइल ओर पेट्रोलियम इंडस्ट्री पर होगा। रुपए के मुकाबले डॉलर मजबूत होने से सरकार का आयात बिल बढ़ेगा। इससे महंगाई बढऩे का चांस बढ़ जाएगा, जो आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती से रोकेगा। हालांकि आईटी सेक्‍टर इससे अछूता रह सकता है। डॉलर में कारोबार होने के चलते भारतीय कंपनियों को इसका फायदा मिल सकता है।

2006 के बाद से दूसरी बार ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी

2015 में बॉन्ड खरीदारी प्रोग्राम को बंद कर ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला फेड ने लिया था
2008 में आई मंदी के दौरान ब्याज दरों को 0 फीसदी के आसपास फेड ने किया था

2017 में अमरीकी जीडीपी में 2.1 प्रतिशत, 2018 में 2.00 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद जताई है फेडरल रिजर्व ने