
नई दिल्ली। लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार NCLT ने गुरुवार को रुचि सोया ( Ruchi Soya ) को 4,350 करोड़ रुपये में अधिग्रहण करने के लिए बाबा रामदेव ( baba ramdev ) की पंतजलि आयुर्वेद ( Patanjali Ayurved ) को हरी झंडी दे दी। रुचि सोया का लेंडर्स पर 9,345 करोड़ रुपये और क्रेडिटर्स के प्रति 2,800 करोड़ रुपये का कर्ज है।
इस डील की खास बात यह रही कि स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ( Standard Chartered bank ) और सिंगापुर की उधारकर्ता DBS ने पतंजिल आयुर्वेद पर लो बिडिंग (कम पैसे में नीलामी) का आरोप लगाते हुये एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया था। इन दोनों उधारकर्ताओं ने चिंता जाहिर की थी कि लो बिडिंग की वजह से उन्हें उनकी पूरी रकम नहीं मिल सकेगी। हालांकि, इस मामले के बावजूद भी अब एनसीएलटी ने पतंजलि आयुर्वेद को हरी झंडी दे दी है।
किन बैंकों पर कितना है रुचि सोया का कर्ज
गौरतलब है कि भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के प्रति रुचि सोया की 9,345 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसमें एसबीआई द्वारा 1,800 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया द्वारा 816 करोड़ रुपये, पंजाब नेशनल बैंक द्वारा 743 करोड़ रुपये, स्टैंडर्ड चार्टर्ड द्वारा 608 करोड़ रुपये, डीबीएस द्वारा 243 करोड़ रुपये का कर्ज है। इस प्रकार यह रिजॉल्युशन लेंडर्स के प्रति करीब 60 फीसदी के हेयरकट के बाद पूरा हुआ है।
क्य है एनसीएलटी की शर्त
हालांकि, एनसीएलटी का कहना है कि यह मंजूरी इस बात पर निर्भर करेगी कि रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल को सुनवाई की अगली तारीख एक अगस्त से पहले 600 करोड़ रुपये के रकम के सही स्रोत के बारे में सूचना देनी होगी। यह रकम भी बिड अमाउंट का हिस्सा है। ट्रिब्यूनल ने रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल से सुनवाई की अगली तारीख से पहले कॉरपोरेट दिवाला निपटान प्रक्रिया की पूरी वास्तविक लागत का ब्योरा देने को भी कहा है।
आचार्य बालकृष्ण ने क्या कहा
एनसीएलटी के इस फैसले के बाद पतंजलि आयुर्वेद को प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि यह एक साकारात्मक कदम है। इससे हमें स्वदेश मूवमेंट को जोर देने में मदद मिलेगी। बालकृष्ण ने कहा, "राष्ट्रीय स्त्रोत का इस्तेमाल करने की ओर यह बड़ा कदम है। इससे स्वदेशी मूवमेंट को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी और परिणामस्वरूप किसानों को लाभी मिलेगा।"
सोयाबिन तेल के लिए देश की प्रमुख कंपनी बनी पतंजलि
बता दें कि दिसंबर 2017 में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और डीबीएस बैंक ने रुचि सोया को दिवालिया कोर्ट में घसीटा था। एनसीएलटी ने दिवालिया याचिका को मंंजूर करते हुए शैलेंद्र अजमेरार को रिजॉल्युशन प्रोफेशनल नियुक्त किया था। लेकिन, रुचि सोया के लिए अडानी विल्मर और पतंजलि आयुर्वेदन ने फाइनेंशियल बिड सबमिट किया था। हालांकि, बाद में अडानी विल्मर ने इस बिडिंग से अपना नाम वापस ले लिया। रुचि सोया के अधिग्रहण के बाद पतंजलि अब देश की प्रमुख सोयाबिन तेल और एडिबल तेल बनाने वाली कंपनी बन गई है।
Published on:
26 Jul 2019 01:06 pm
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