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गाय के दूध से नहीं इस चीज से हो रही लाखों की कमार्इ, आपके पास भी है मौका

गाय पालने वाले लाेगों को दूध के बजाय गोमूत्र से लाखों की कमार्इ हो रही है।

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गाय के दूध से नहीं इस चीज से हो रही लाखों की कमार्इ, आपके पास भी है मौका

नई दिल्ली। कुछ सप्ताह पहले ही गुजरात के गिर क्षेत्र के जुनागढ़ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के एक शोध में दावा किया गया था कि गोमूत्र में सोने के कण होते हैं। लेकिन अब ब्लूमबर्ग के एक रिपोर्ट में गोमूत्र को लेकर आैर बात का दावा किया गया है। इस वेबसाइट ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि भारत में दूध से ज्यादा लोगों की कमाई गोमूत्र से हो रही है। लेकिन आप इसे लेकर चिंता न करें, इसका कारण गोमूत्र में सोने के कण मिलना नहीं हैं।


दवाआें के लिए इस्तेमाल होता है गाेमूत्र

इस रिपोर्ट के मुताबिक, गोमूत्र आज के समय में सबसे कीमती चीजों में से एक है। इसकी सबसे बड़ी वजह बीते दो साल में नरेन्द्र मोदी सरकार और उसकी योजनाओं से देश में बीफ बूचड़खानों पर लगाई गई पाबंदी भी है। नागपुर स्थित गो-विज्ञान अनुसंधान केन्द्र के सुनील मानसिंघका ने ब्लूमबर्ग को दिए अपने इंटरव्यू में कहा है कि घर पर ही गोमूत्र से करीब 30 तरह की दवाओं को बनाया जा सकता है। कई लोगों का ये मानना है कि गोमूत्र कई बड़ी बीमारियों को जड़ से खत्म करने में असरदार होता है।


बीमारियों में सबसे असरदार होता है गोमूत्र

नेशनल इंस्टीटयूट आॅफ आयुर्वेद के के शंकर राव ने एक अंग्रेजी वेबसाइट को बताया कि, कई आयुर्वेदशास्त्र में आठ तरह के मूत्र से बीमारियों का इलाज करना संभव है। इसमें गाय, भैंस, बकरी, उंट, भेड़, गदहा, घोड़ा और इंसानों के मूत्र शामिल हैं। खास बात ये है कि इनमें से सबसे असरदार गोमूत्र हैं। ब्लूमबर्ग ने अपने रिपोर्ट में ये भी कहा है कि बाबा रामदेव के कई पतंजलि उत्पाद में भी गोमूत्र का उपयोग किया जाता है। इनमें फर्श क्लीनर भी शामिल है।


पतंजलि आयुर्वेद को कम पड़ जाता है गोमूत्र

आचार्य बालाकृष्ण ने बताया कि, हम एक दिन में करीब 20 टन तक गोनाइल बनाते हैं जिसमें गोमूत्र का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी हम डिमांड को पूरा नहीं कर पाते हैं। कई डाॅक्टर गोमूत्र से दवाएं बनाने के लिए पेटेंट भी रखते हैं। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में रहने वाले डाॅ विरेन्द्र कुमार जैन भी इनमें से एक हैं जो गोमूत्र से हर्बल दवाएं बनाते हैं। पिछले दो दशक में जैन सेंटर ने गोमूत्र से बनने वाले करीब 12 लाख पेटेंट पर काम किया है। इनमें से कई तो कैंसर जैसी घातक बीमारियों में भी इस्तेमाल किया जाता है।