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92 हजार करोड़ रुपए के बकाए पर टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

सरकार को एजीआर के 92000 करोड़ रुपए वसूलने की मिली इजाजत फैसले के बाद टेलीकॉम कंपनियों के शेयरों में फीसदी की गिरावट जुलाई में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर डिपार्टमेंट को दी जानकारी

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Saurabh Sharma

Oct 24, 2019

Supreme Court Recruitment 2019

Supreme Court Recruitment 2019

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आठ टेलीकॉम कंपनियों को जबरदस्त फटकार लगाते हुए बकाया चुकाने के निर्देश जारी किए हैं। अब कंपनियों को मूल रकम के साथ उसका ब्याज भी चुकाना होगा। खास बात तो ये है कि इस फेहरिस्त में वो कंपनियां भी जो मौजूदा समय में बंद हो गई हैं। आपको बता बता दें कि देश की आठ कंपनियों पर एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के रूप में 92,000 करोड़ रुपए की रकम बकाया है।

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टेलीकॉम कंपनियों की अपील हुई खारिज
अदालत ने अदालत ने टेलीकॉम कंपनियों की अपील खारिज करते हुए टेलीकॉम डिपार्टमेंट द्वारा तय की गई एजीआर की परिभाषा को बरकरार रखा। वहीं कोर्ट की ओर से आगे कोई मुकदमें बाजी ना होने की बात भी कह डाली है। कोर्ट के अनुसार बकाया भुगतान की गणना के लिए समय की अवधि तय होगी। कोर्ट के इस फैसलने के बाद मौजूदा टेलीकॉम कंपनियों के शेयर लुढ़क गए हैं। यह आंकड़ा 20 फीसदी तक पहुंच गया है। वोडाफोन-आइडिया के शेयर में 20 फीसदी के करीब गिरावट आई है। वहीं भारती एयरटेल का शेयर 6 फीसदी तक लुढ़क गया है।

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किस कंपनी पर कितना बकाया?
आंकड़ों की मानें तो भारती एयरटेल 21,682.13 करोड़ रुपए का बकाया है। वहीं वोडाफोन को 19,823.71 करोड़ रुपए चुकाने होंगे। वहीं बंद हो चुकी रिलायंस कम्युनिकेशंस पर 16,456.47 करोड़ रुपए बकाया है। वहीं सरकारी कंपनी बीएसएनएल को 2,098.72 करोड़ रुपए बकाया के तौर पर चुकाने हैं। दूसरी सरकारी कंपनी एमटीएनएल को 2,537.48 करोड़ रुपए चुकाने होंगे। आपको बता दें कि टेलीकॉम डिपार्टमेंट की ओर से जुलाई में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर टेलीकॉम कंपनियों पर बकाया लाइसेंस फीस की जानकारी दी थी। कुल 92,641.61 करोड़ रुपए का बकाया बताया गया था।

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कुछ ऐसा है एजीआर विवाद
टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर के आधार पर ही सरकार को स्पेक्ट्रम और लाइसेंस फीस चुकानी होती है। कंपनियां अभी टेलीकॉम ट्रिब्यूनल के 2015 के फैसले के आधार पर एजीआर की गणना करती हैं। इसके तहत वे अपने अनुमान के आधार पर स्पेक्ट्रम शुल्क और लाइसेंस फीस चुकाती हैं। दूरसंचार विभाग लगातार बकाया की मांग करता रहा है। दूरसंचार विभाग ने कहा था कि एजीआर में डिविडेंड, हैंडसेट की बिक्री, किराया और कबाड़ की बिक्री भी शामिल होनी चाहिए। टेलीकॉम कंपनियों की दलील थी कि एजीआर में सिर्फ प्रमुख सेवाएं शामिल की जाएं। इस मामले में अदालत ने अगस्त में फैसला सुरक्षित रखा था।