
Cyrus Mistry
नई दिल्ली। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने बुधवार को साइरस मिस्त्री को फिर से टाटा समूह के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बहाल कर दिया है। ऐसे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर के यूजर्स ने भी इस बबात अपने विचार रखे। एक यूजर ने कहा, " साइरस मिस्त्री की वापसी के साथ..सबसे बड़ी कॉर्पोरेट नेतृत्व की लड़ाई वापस आ गई है। यह कहानी कभी मुझे विस्मित नहीं कर सकी। टाटा संस बोर्ड के द्वारा मिस्त्री को हटाने का प्रस्ताव अवैध था। हैश टैग रतन टाटा।"
दूसने ने लिखा, "टाटा संस को चाहिए कि भविष्य के फैसलों में अल्पसंख्यक धारकों से विचार करें।"
अन्य ने लिखा, "बूम! ऐसा हो गया, अब क्या होता हैं।"
एक और यूजर ने लिखा, "बड़ी बात है।"
गौरतलब है कि वर्ष 2012 में मिस्त्री टाटा समूह के छठे अध्यक्ष नियुक्त हुए थे और 24 अक्टूबर, 2016 को उन्हें पद से हटा दिया गया था। परिवार द्वारा संचालित दो कंपनियों -साइरस इन्वेस्टमेंट्स और स्टर्लिग इन्वेस्टमेंट कॉर्प- के माध्यम से मिस्त्री ने इस फैसले और दुराचार के लिए टाटा संस और अन्य के खिलाफ मुंबई स्थित नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) का रुख किया था। मिस्त्री का परिवार 18.4 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ टाटा संस में सबसे बड़ा शेयरहोल्डर है।
वहीं मौजूदा समय में टाटा संस के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को पूरी तरह से इललीगल बताया है। इससे पहले, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ ने मिस्त्री को हटाने को चुनौती देने वाली दो निवेश फर्म साइरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। बाद में, मिस्त्री ने भी एनसीएलटी के आदेश पर एनसीएलएटी से व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया था।
Updated on:
18 Dec 2019 06:27 pm
Published on:
18 Dec 2019 06:26 pm
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