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88 साल के बाद ‘महाराजा’ की हो सकेगी अपने पुराने घर वापसी

1932 में टाटा एयरलाइंस ( Tata Airlines )के नाम से देश में शुरू हुई थी पहली एयरलाइन कंपनी नेशनलाइजेशन के बाद कंपनी का नाम बदलकर सरकार ने रख दिया था Air India टाटा और सिंगापुर एयरलाइन्स एअर इंडिया के लिए बोली लगाने को कर रहे हैं तैयारी

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Air India

tata group explore merger plans to bid for air india

नई दिल्ली। यहां पर घर वापसी किसी धर्म से जोड़कर ना देखें। यह कहानी थोड़ी अलग और दिलचस्प है। यहां हम भारतीय एयरलाइनंस ( Tata Airlines ) के 'महाराजा' यानी एअर इंडिया की बात कर रहे हैं। अब सवाल ये है कि आखिर एअर इंडिया के लिए घर वापसी जैसे शब्द का इस्तेमाल ही क्यों किया गया? क्योंकि एअर इंडिया देश की आजादी से पहले टाटा एयरलाइंस के नाम से जानी जाती थी। जिसकी शुरूआत भारत में भारतीय एयरलाइंस के जनक जेआरडी टाटा ने की थी। आजादी के बाद नेशनलाइजेशन के दौर में टाटा एयरलाइंस भी इसकी जद में आई और सरकार ने नाम बदलकर एअर इंडिया कर दिया। आपको बता दें कि एअर इंडिया यानी टाटा एयरलाइन की शुरुआत1932 में की गई थी। जिसे बाद में सरकारी कंपनी में बदलकर 1948 में एअर इंडिया कर दिया गया। अपने खराब दौर में चल रही एअर इंडिया के लिए एक बार फिर से टाटा ही उसका सहारा बनने का विचार कर रहे हैं। इसके लिए टाटा ग्रुप ने अपने विदेशी पार्टनर के साथ मिलकर प्लान भी बनाना शुरू कर दिया है। मुमकिन है कि देश के 'महाराजा' की घर वापसी हो जाए। पढिय़े यह पूरी रिपोर्ट...

कुछ ऐसा है टाटा ग्रुप का प्लान
करीब 88 साल पहले जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइंस की शुरूआत की और 1948 में भारत सरकार को सौंपी तो उन्हें भी इस बात अहसास नहीं होगा कि उनकी बनाई हुई एयरलाइंस का हश्र इतना बुरा होगा। मौजूदा समय में एअर इंडिया सरकार के लिए घाटे का सौदा बन चुकी है। हजारों करोड़ रुपयों के कर्ज का बोझ लेकर एक बार फिर अपने जन्मदाता की ओर टकटकी नजरों से देख रही है। वहीं दूसरी ओर सरकार ने 17 मार्च एअर इंडिया के लिए बोलिया भी मंगा ली है। जिसके बाद बाद टाटा और उसके विदेशी पार्टनर ने एक बार फिर से एअर इंडिया को अपने पास दोबारा लाने के प्लान पर काम कर दिया है। टाटा ग्रुप सिंगापुर एयरलाइन्स के साथ मिलकर एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की तैयारी कर रहा है और सूत्रों प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों मिलकर इसका एक्विजिशन करने के लिए काम शुरू कर चुके हैं। टाटा ग्रुप के प्लान के अनुसार एयर एशिया इंडिया का मर्जर ( इसमें टाटा की 51 फीसदी हिस्सेदारी है ) और एयर इंडिया एक्सप्रेस शामिल हैं, जो एयर इंडिया की 100 फीसदी सब्सिडियरी है। इसके लिए इंटरप्रेन्योर टोनी फर्नांडिस से भी संपर्क साधा है, जो एयर एशिया में 49 फीसदी के हिस्सेदार हैं। शेयरधारक समझौते के अनुसार अगर फर्नांडिस इसके लिए तैयार नहीं होते तो टाटा ग्रुप किसी अन्य बजट एयरलाइंस में 10 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं कर सकते हैं।

जल्द मिल सकती है समझौते को हरी झंडी
जानकारी के अनुसार नए समझौते पर जल्द साइन होले की संभावना है। टाटा ग्रुप की ओर से एयर एशिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के मर्जर का दिया है। इस मर्जर से भारतीय एविएशन सेक्टर में फर्नांडिस का बड़ा शेयर होगा, इसलिए दोनों पार्टनर्स के लिए यह फायदे का सौदा हो सकता है। एयर एशिया की शुरुआत 2013 में हुई थी। जो टाटा ग्रुप और फर्नांडिस के बीच जॉइंट वेंचर है। वहीं दूसरी ओर टाटा विस्तारा को भी ऑपरेट कर रहा है। जो सिंगापुर एयरलाइंस के साथ जॉइंट वेंचर के रूप है। विस्तारा में टाटा ग्रुप की 51 फीसदी साझेदारी है। आपको बता दें कि टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन के अनुसार वो बिना मर्जर के तीसरी एयरलाइन नहीं चला सकते हैं। एयर इंडिया और विस्तारा का साथ टाटा ग्रुप को फुल-सर्विस स्पेस में एकाधिकार दिलाने में कामयाब हो सकता है।

यहां तक है एअर इंडिया एक्सप्रेस और एशिया की पहुंच
एअर इंडिया एक्सप्रेस की 20 भारतीय शहरों, खाड़ी और दक्षिण एशियाई देशों के 13 इंटरनेशनल डेस्टिनेशंस में पहुंच है। एअर इंडिया एक्सप्रेस के बेड़े में 25 बोइंग 737 हैं, वहीं एयर एशिया की बात की जाए तो इसके पास 29 एयरबस ए320 हैं और यह 21 शहरों में अपनी सेवाएं देती है। वहीं दूसरी ओर एयर एशिया इंडिया विदेशी उड़ानों के लिए इजाजत का इं कर रही है। मौजूदा समय के हालातों को देखते हुए यह इंतजार अभी लंबा होता हुआ दिखाई दे रहा है। इसका कारण है फर्नांडिस, एयर एशिया बोर्ड में टाटा नॉमिनी आर वेंकटरमन पर चल रहे आपराधिक षडय़ंत्र और मनी लॉन्डरिंग के केसस। फर्नांडिस को 5 फरवरी को ईडी ने समन किया है।