
Union Minister revealed, why is Air India debt increasing?
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी एअर इंडिया पर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। सभी मन में यही सवाल है कि एअर इंडिया की हालत ऐसी कैसे हो गई कि उसका विनिवेश करना पड़ रहा है? एअर इंडिया पर हजारों करोड़ रुपए का कर्ज कैसे बढ़ गया? इसके लिए नागर विमानन मंत्री सामने आए और उन्होंने संसद के उच्च सदन राज्यसभा में आंकड़ों सहित बताया कि एअर इंडिया के डूबने के मुख्य कारण क्या थे? आइए आपको भी बताते हैं...
सवाल पर दिया लिखित जवाब
बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक सवाल के जवाब में लिखित में जवाब पेश करते हुए कहा कि एअर इंडिया पर 2016-17 में 48,447 करोड़ रुपए का कर्ज था, जो कि 2017-18 में 55,308 करोड़ रुपए हो गया। उसके एक साल के बाद यानी 2018-19 में यही कर्ज बढ़कर 58,255 करोड़ रुपए हो गया। उन्होंने कर्ज बढऩे का कारण बताते हुए कहा कि कर्ज में इजाफे का मुख्य कारण ऊंची ब्याज दर, सस्ती विमानन सेवा के कारण बढ़ी प्रतिस्पर्धा, रुपए की कीमत में गिरावट के कारण मुद्रा विनिमय पर प्रतिकूल असर सहित विभिन्न कारणों है। जिससे एअर इंडिया को नुकसान को हुआ है और उसके विनिवेश को मजबूर होना पड़ रहा है।
टाटा ग्रुप की हो सकती है घर वापसी
विनिवेश के तहत एयर इंडिया के लिए 17 मार्च तक बोलियां मांगी गई है। वहीं टाटा ग्रुप एअर इंडिया को लेने के लिए दावेदारी को लेकर अपने प्लान को अंतिम रूप देने में लगा है। टाटा ग्रुप सिंगापुर एयरलाइंस के साथ एअर इंडिया के लिए बोली लगाने की तैयारी कर रहा है। अगर ऐसा होता है और एअर इंडिया टाटा ग्रुप के हाथों में आती है तो एअर इंडिया के लिए घर वापसी जैसा होगा। इसका कारण ये है कि 1932 में एअर इंडिया की शुरुआत जेआरडी टाटा ने की थी। उस समय यह टाटा एयरलाइंस के नाम से थी। नेशनलाइजेशन के बाद इसका नाम बदलकर एअर इंडिया कर दिया गया था।
Updated on:
06 Feb 2020 11:09 am
Published on:
06 Feb 2020 11:08 am
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