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जबलपुर

66 करोड़ के फर्जीवाड़े में सात अफसरों पर एक्शन

बहुचर्चित 66 करोड़ के धान खरीदी फर्जीवाड़े में सीएम डॉ मोहन यादव सरकार का एक्शन जारी है। इस मामले में मध्यप्रदेश वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के रीजनल मैनेजर डीके हवलदार को भी निलम्बित कर दिया गया। उनपर वेयर हाउस संचालकों को फर्जीवाड़े में संरक्षण देने का आरोप है। वहीं, सहकारी समितियों की भी भूमिका सामने आने पर चार समिति प्रबंधकों को भी निलम्बित किया गया है।

जबलपुरDec 29, 2023 / 07:45 am

deepak deewan

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66 करोड़ के धान खरीदी फर्जीवाड़े में सीएम डॉ मोहन यादव सरकार का एक्शन जारी

जबलपुर। बहुचर्चित 66 करोड़ के धान खरीदी फर्जीवाड़े में सीएम डॉ मोहन यादव सरकार का एक्शन जारी है। इस मामले में मध्यप्रदेश वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के रीजनल मैनेजर डीके हवलदार को भी निलम्बित कर दिया गया। उनपर वेयर हाउस संचालकों को फर्जीवाड़े में संरक्षण देने का आरोप है। वहीं, सहकारी समितियों की भी भूमिका सामने आने पर चार समिति प्रबंधकों को भी निलम्बित किया गया है।

42 वेयरहाउसों में धान का अवैध भंडारण पाया गया था, इनमें से 36 के संचालकों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। इन पर एफआइआर दर्ज कराने की भी तैयारी है। जांच में जो अभी तक तथ्य सामने आए हैं, उसके अनुसार राजस्व अधिकारियों, सहकारिता, विपणन संघ, वेयरहाउसिंग कार्पोरेशन, खाद्य विभाग सहित कई अन्य विभागों के अधिकारियों की मिलीभगत से धान खरीदी के लिए एक पूरा फर्जी तंत्र खड़ा किया था।

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साजिश के तहत धान खरीदी केंद्र कम बनाए गए ताकि किसान परेशान होकर वेयर हाउस संचालकों को औने-पौने दाम में धान बेच सकें। वहीं, दूसरे स्थानों की घटिया धान को गोदामों में रखकर अच्छी किस्म की धान की कालाबाजारी की जा सके। भोपाल से आए जांच दल ने 42 वेयर हाउसों में धान का फर्जीवाड़ा पाया, जो बिना किसी रिकॉर्ड के तीन लाख क्विंटल से अधिक धान भंडारित कर रखी थी पर ठिकाने लगाने से पहले ही पकड़े गए। जांच रिपोर्ट के आधार पर 36 वेयर हाउस ब्लैक लिस्ट किए गए हैं। इनके संचालकों के बयान दर्ज कर एफआइआर की कार्रवाई की जाएगी।

अब तक सात अधिकारी निलम्बित
राज्य शासन के आदेश पर वेयर हाउसिंह कार्पोरेशन के रीजनल मैनेजर हवलदार, सेवा सहकारी समिति के शाखा प्रबंधकों में शहपुरा शाखा प्रबंधक रितिक सिरोठिया, पाटन शाखा प्रबंधक आनंद पांडे, सिहोरा शाखा प्रबंधक बीके पाठक और रिछाई के शाखा प्रबंधक शैलेश उपाध्याय शामिल हैं। यह संख्या अभी और बढ़ेगी। सभी के खिलाफ गबन की धाराओं में केस चलाने की भी तैयारी है। वहीं, जबलपुर फूड कंट्रोलर कमलेश टांडेकर और विपणन संघ के जिला अधिकारी व मैनेजर रोहित सिंह बघेल पहले ही निलम्बित किए जा चुके हैं।

80 फीसदी धान फर्जी
जिले के 42 गोदाम में अवैध तरीके से किसानों का धान भंडार किया गया था। यह ऐसे गोदाम हैं जिन्हें खरीदी केंद्र नहीं बनाया गया था। लेकिन किसानों को धोखे में रखकर उनका धान डम्प कर लिया गया। जिसमें से कुछ धान व्यापारियों का होने का भी संदेह जताया गया है। इस मामले की जांच के लिए भोपाल से 10 दल जबलपुर आए थे।

जांच में पता चला कि 80 प्रतिशत गोदाम में धान का अवैध तरीके से भंडारण किया गया। इसकी मात्रा 3 लाख क्विंटल थी। जांच दल के पहुंचने से पहले काफी माल को दूसरी जगह ठिकाने लगा दिया गया था। जिससे कोई प्रमाण नहीं मिल पाए, लेकिन जांच दल के अधिकारी और सदस्यों ने किसानों के अलावा पटवारी से भी इस संबंध में जानकारी ली। इसमें गड़बडिय़ां सामने आई थी।

किसानों के फर्जी पंजीयन की भी जांच
इस बीच यह भी जानकारी सामने आई है कि धान खरीदी के लिए कुछ किसानों की तरफ से फर्जी पंजीयन भी कराए गए हैं। इसका सत्यापन एसडीएम और तहसीलदार के माध्यम से पहले किया जा चुका है लेकिन उसमें और गड़बडिय़ां सामने आने पर इसकी जांच की जा रही है। सिकमी धारकों के अलावा व्यापारियों के पंजीयन की आशंका को ध्यान में रखकर यह जांच की जा रही है।

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प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध-
धान उपार्जन के लिए जिले में बने फर्जी उपार्जन केंद्रों को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। प्रदेश में जबलपुर ही ऐसा जिला है जहां उपार्जन में प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका सबसे ज्यादा है। जब कि अन्य जिलों में प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ उपार्जन के कार्य की निगरानी करते हैं। वही जबलपुर में प्रशासनिक अधिकारियों के पास उपार्जन केंद्रों की स्थापना से लेकर संचालन तक के अधिकार दिए गए हैं। उसके बाद भी जिले में इस तरह की गंभीर अनियमितताएं सामने आई है।

जब भी किसी गोदाम में उपार्जन केंद्र की स्थापना होती है तो उसे खाद्य विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ एसडीम और तहसीलदार भी अनुमोदित करते हैं। इसके लिए वे भौतिक रूप से केंद्र का निरीक्षण करते हैं उसके बाद वह अपनी रिपोर्ट जिला उपार्जन समिति को देते हैं। जिसके आधार पर केंद्रों की स्थापना होती है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि जिन 42 केंद्रों की स्थापना के लिए नाम जबलपुर से भोपाल भेजे गए थे वह संबंधित क्षेत्र के एसडीएम के माध्यम से ही भेजे गए होंगे और उसमें उनकी अनुशंसा रही होगी।

20 नए खरीदी केन्द्र स्थापित-
फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद जिले में 20 और धान खरीदी केन्द्र स्थापित किए गए हैं। नए स्थापित खरीदी केन्द्रों पर स्लॉट की बुकिंग भी प्रारंभ हो गई है। जिला आपूर्ति नियंत्रक व संयुक्त कलेक्टर नदीमा शीरी ने बताया कि धान के उपार्जन का कार्य से 19 जनवरी तक किया जाएगा। किसानों से धान का उपार्जन न्यूनतम समर्थन मूल्य 2 हजार 183 रूपये प्रति क्विंटल की दर पर किया जा रहा है।

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