नाबालिग बालक-बालिकाओं के गुम होने के मामले में तो पुलिस सक्रियता से जांच करती है, तलाश के प्रयास भी होते हैं। 18 आयु वर्ग से अधिक उम्र के गुमशुदा प्रकरण खानापूर्ति तक सीमित हैं। यही कारण है कि लापता होने वालों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। शहर में रांझी थाना में सर्वाधिक 424 मामले हैं। इनमें पुलिस लापता को नहीं तलाश पाई, तो वहीं देहात थानों में पनागर में 283 गुम इंसान दर्ज है। इनकी तलाश केवल कागजों में ही चल रही है।
![missing loved ones](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/05/rajasthan-police-5.jpg?resize=1024,576)
शहर में कई ऐसे संगठन भी हैं, जो लापता होने वाले बच्चों और बुजुर्गो के परिजनों से सम्पर्क कर उनकी तस्वीरों और जानकारी को सोशल मीडिया पर विभिन्न प्लेटफार्म पर वायरल करते हैं, ताकि यह जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे और लापता की तलाश में मदद मिल सके। इसमें परिजनों के साथ ही पुलिस थाने और जिले के कंट्रोल रूम तक का नम्बर दिया जाता है।
![missing loved ones](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/05/missing-01.jpg?w=640)
मामला- गढ़ा निवासी आशीष बैरागी (16) 23 मार्च की रात आठ बजे घर से निकला, लेकिन फिर नहीं लौटा। मामले में परिजनों ने गढ़ा थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई। पुलिस जांच कर उसका पता लगा रही है।