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बंकर, एयरबेस, और बंदरगाह को तबाह करने वाला वायुसेना का विध्वंसक बम यहां होगा तैयार

locationजबलपुरPublished: Jan 11, 2021 09:35:00 am

Submitted by:

Hitendra Sharma

– एक ही जगह कम्पलीट होगी 250 किग्रा बम की बॉडी
– जीआइएफ मशीनिंग की जुटाएगी सुविधा
– वायुसेना के विध्वंसक बम बॉडी की ढलाई
– जीआइएफ में होगी 250 किग्रा बम की बॉडी की ढलाई

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जबलपुर. वायुसेना के विध्वंसक बम 250 किग्रा बम की बॉडी की ढलाई में सफलता के बाद ग्रे आयरन फाउंड्री (GIF) ने अब उसकी मशीनिंग की सुविधा भी विकसित करने की योजना बनाई है। ऐसे में बम बॉडी का पूरा काम यहीं हो जाएगा। इसके लिए फाउंड्री को दूसरी आयुध निर्माणी एवं निजी क्षेत्र की मदद नहीं लेनी पडेग़ी। फिर उसे आयुध निर्माणी खमरिया सप्लाई किया जाएगा, जहांं इस बम में बारूद भरने का काम होता है।

जीआइएफ की स्थापना बम बॉडी, तोप और सेना के वाहनों में लगने वाले कलपुर्जो की ढलाई के लिए की गई है। इसमें हैंड ग्रेनेड बॉडी, 100-120 किग्रा एरियल बम बॉडी प्रमुख है। इसी प्रकार वीकल फैक्ट्री में बनने वाले सेना के सुरंगरोधी वाहनों के हल, रेलवे के लिए ब्रेक शू आदि का उत्पादन फाउंड्री करती रही है। लेकिन, नियमित चलने वाला उत्पादन हैंड ग्रेनेड एवं एरियल बम बॉडी है। इस काम के लिए आधुनिक फर्निश मशीन एवं अन्य उपकरणों की स्थापना की गई है।

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ढलाई के बाद फिनिशिंग ही प्रमुख
भारी-भरकम बम की बॉडी की ढलाई करने में फाउंड्री ने सफलता हासिल की थी। इसका सांचा तैयार कर फर्निश मशीन में इसकी ढलाई की गई थी। इस काम के बाद सबसे महत्वपूर्ण उसकी फिनिशिंग है। ढलाई के बाद बॉडी उस अवस्था में नहीं होती कि उसे सीधे ही बारूद के भरण के लिए भेज दिया जाए। उसे तय मापदंडों के अनुसार आकार दिया जाता है। उसकी साफ-सफाई के अलावा कुछ पाट्र्स को बेल्डिंग के जरिए भी जोड़ा जाता है। यह काम अभी फाउंड्री में नहीं होता। इसकेलिए आयुध निर्माणी मुरादनगर या निजी फर्म की सहायता लेनी पडेग़ी। नियमित उत्पादन होगा, तब इस काम के लिए बॉडी भेजना उतना आसान नहीं होगा। इसलिए अगले एक साल में मशीनिंग के लिए जरूरी संसाधन जुटाए जा रहे हैं।

तबाह हो जाते हैं बंकर
जीआइएफ में इस बम की बॉडी तैयार होनी है, लेकिन इसमें बारूद भरने का काम ओएफके में किया जाता है। वायुसेना के लड़ाकू विमानों से इसे निर्धारित ऊंचाई से धरती पर गिराया जाता है। ऐसे में दुश्मन के बंकर, एयरबेस, इमारत, बंदरगाह सहित दूसरी बड़ी अधोसंरचना ध्वस्त करना आसान होता है। भारी मात्रा में मौजूद बारूद से तबाही तय रहती है।

महाप्रबंधक, जीआइएफ अजय सिंह ने बताया कि वायुसेना के लिए 250 किग्रा बम बॉडी की ढलाई कर रहे हैं। इसकी मशीनिंग की प्रक्रिया यहीं पूरी करने के लिए आयुध निर्माणी बोर्ड से चर्चा चल रही है। अगले एक साल के भीतर यह सुविधा यहां शुरू करने का प्रयास किया जाएगा।

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