तीन मार्च, 2020 को रेलवे की ओर से जारी इसी आदेश को याचिका के जरिये चुनौती दी गई है। कैट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद अपने अंतरिम आदेश में साफ किया कि यदि पदोन्नतियों कर दी गई हैं, तो वे विचाराधीन याचिका के अंतिम निर्णय के आधीन होंगी। यदि नहीं हुई हैं, तो न की जाएं। बहस के दौरान साफ किया गया कि रेलवे का रवैया मनमाना है। इससे वास्तविक हकदार पिछड़ जाएंगे। रेलवे की सेवा में सम्मान का भाव पैदा करने के लिए इस तरह की मनमानी का विरोध अत्यावश्यक है। इसीलिए यह कदम उठाया गया। कैट से निवेदन है कि इस मनमानी पर सख्त अंकुश सुनिश्चित करे। इस तर्क से सहमत होकर अंतरिम आदेश और नोटिस जारी किए गए।