यह है मामला
उप्र के गाजीपुर निवासी बिल्डर सूरजमल आम्बेडकर, उसकी कम्पनी में कार्यरत सिंगरौली जिला निवासी बुद्धसेन पटेल, व संतोष पनिका की ओर से अग्रिम जमानत के लिए अर्जी पेश की गई। सभी के खिलाफ सिंगरौली जिले के विंध्यनगर थाने में धारा 420 व 120 बी के तहत प्रकरण दर्ज है। दिलीप कुमार श्रीवास्तव ने शिकायत की थी कि उसका बेटा नाबालिग से रेप के मामले में जेल में बंद है। उसे जमानत पर रिहा कराने के लिए आरोपियों ने उससे 850000 रुपए हड़प लिए।
आरोपियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त ने अग्रिम जमानत की अर्जी पेश कर बताया कि आवेदक सूरजमल बिल्डर्स है। सिंगरौली जिले में उसे एनसीएल (नॉर्दर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड) का ठेका दिलाने के लिए शिकायतकर्ता ने उससे सात लाख रुपए ले लिए। वापस मांगने पर लौटाने के बजाय झूठी रिपोर्ट दर्ज करवा दी। उन्होंने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता ने भी तो रिश्वत देने का अपराध किया। उस पर प्रकरण क्यों नहीं दर्ज किया गया?
कैसे करते हैं हिम्मत ?
सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश में कहा कि रिश्वत देकर अवैधानिक काम कराने की मंशा रखने वाले लोग रकम वसूली का रोना रोते हुए बेशर्मी से न्यायिक प्रक्रिया के समक्ष पहुंचते हैं। यह सवाल अनुत्तरित है कि वे ऐसा करने की हिम्मत कैसे करते हैं? कोर्ट ने सिंगरौली एसपी को निर्देश दिए कि शिकायतकर्ता दिलीप कुमार श्रीवास्तव के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की जाए।
सीबीआई करेगी बिल्डर की जांच
सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि आरोपियों सूरजमल व अन्य पर प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी का अपराध बनता है। कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। एनसीएल के ठेके के लिए रिश्वत देने के तथ्य पर सीबीआई को निर्देश दिए कि आरोपी बिल्डर सूरजमल आम्बेडकर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-12 के तहत प्रकरण दर्ज कर मामले की जांच व कार्रवाई की जाए।