
cheque bounce latest news in hindi against famous builder and consumer
जबलपुर। शहर का एक बड़ा बिल्डर अपने ग्राहक को लाखों रुपए की राशि लौटाएगा। इतना ही नहीं वह ग्राहक के द्वारा जमा किए गए राशि पर ब्याज का भी भुगतान करेगा। इस लाखों रुपए की रकम को लौटाने के लिए बिल्डर को उपभोक्ता फोरम ने आदेशित किया है। जिला उपभोक्ता फोरम में हुई सुनवाई में बिल्डर भूपेंद्र सिंह ठाकुर को चेक बाउंस का दोषी ठहराया गया है। फोरम ने परिवादी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिल्डर को उसके पास जमा राशि तीन माह के अंदर ब्याज सहित चुकाने का निर्देश दिया है।
ये है मामला
त्रिपुरी चौक निवासी हेमेंद्र साहू ने परिवाद दायर कर कहा था कि विज्ञापन के आधार पर उन्होंने भगवती इन्फ्रासट्रक्चर्स के संचालक भूपेंद्र सिंह ठाकुर से 2400 वर्ग फीट क्षेत्रफल का प्लॉट 9 लाख 18 हजार रुपए में खरीदा। कब्जे के साथ ही रजिस्ट्री का अनुबंध किया गया, लेकिन बिल्डर का यह प्रोजेक्ट फेल हो गया। उसने अनुबंध का पालन नहीं किया। तय समय पर न तो उसे अनुबंध के मुताबिक प्लॉट दिया गया और न ही उसे राशि वापस की गई।
चेक बाउंस हो गया
हेमंत ने परिवाद दायर करने से पहले बिल्डर से शिकायत की। इसके बाद बिल्डर ने उसे नौ लाख रुपए का एक मार्च, २०१६ दिनांकित चेक दिया। इसे जब उसने बैंक में लगाया तो वह चेक बाउंस हो गया। परिवादी की ओर से अधिवक्ता अरुण कुमार जैन ने कोर्ट को राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के फैसले का हवाला देते हुए बताया, परिवादी उपभोक्ता की परिभाषा के अंतर्गत आता है। लिहाजा उसे इस अधिनियम के तहत मुआवजा दिलाया जाए।
मूल राशि सहित 8 फीसदी ब्याज
सुनवाई के बाद फोरम ने परवादी के पक्ष में आदेश पारित किया। चेक बाउंस के दोषी बिल्डर भूपेंद्र सिंह ठाकुर को बाउंस हुए चेक की राशि नौ लाख अठारह हजार रुपए तीन माह के अंदर ब्याज सहित लौटाने को कहा है। कोर्ट ने बिल्डर को परिवादी को हुई मानसिक पीड़ा व वाद व्यय के लिए भी उसे सात हजार रुपए अदा करने के आदेश दिए। बिल्डर को चेक की रकम ८ फीसदी ब्याज के साथ लौटाने के लिए कहा है।
भगवती ग्रुप का मामला
चेक बाउंस का यह मामला शहर के एक बड़े रिएल स्टेट ग्रुप से संबंधित है। जो भगवती इन्फ्रासट्रक्चर्स के नाम से कॉलोनी डेवलप करने का काम कर रही है। चेक बाउंस के दोषी ठहराए गए भूपेंद्र सिंह ठाकुर भगवती इन्फ्रासट्रक्चर्स के संचालक है।
50 हजार की जगह 5 सौ रुपए में काम
चेक बाउंस के इस मामले में परिवादी पहले जिला अदालत में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत परिवाद दायर करना चाहते थे। लेकिन इसमें वाद मूल्य का पांच प्रतिशत अर्थात लगभग पचास हजार रुपए कोर्ट फीस जमा करना पड़ता। इसलिए उनके वकील ने उन्हें उपभोक्ता फोरम में मामला दायर करने की सलाह दी। इसमें महज 500 रुपए कोर्ट फीस लगी। जिला उपभोक्ता फोरम ने परिवादी को न्याय दे दिया।

Published on:
16 Feb 2018 08:29 pm
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