ग्रामीण क्षेत्र में इसे ग्राम पंचायतें करती हैं। यदि कोई बिल्डर कॉलोनी में बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं कराता, तो बंधक के रूप में रखे गए 20 प्रतिशत हिस्से को बेचकर निगम प्रशासन विकास कराता है। दो साल पहले महालेखाकार पंजीयक ग्वालियर की टीम ने निगम में ऑडिट किया था। इसमें पाया गया कि विकास पर जो व्यय बिल्डरों ने बताया, वह कम था। इसके लिए ऑडिट टीम ने मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड के विकास व्यय को आधार बनाया था। ऑडिट टीम ने पाया कि बोर्ड की लागत से बेहद कम विकास लागत बिल्डर्स ने बताई। इस पर आपत्ति ली गई। क्योंकि, विकास पर प्राक्कलित व्यय पर ही पंजीयन विभाग को रजिस्ट्री फीस एवं स्टाम्प ड्यूटी मिलती है।