फैक्ट्री से निकलने वाला मिट्टी-कार्बाइडयुक्त पानी से संक्रमण का खतरा, सिल्ट से भर गया नाला
ग्वारीघाट के दूसरे किनारे पर मंगेली से लगी पटाखा फैक्ट्री से निकलने वाला पानी नर्मदा को प्रदूषित कर रहा है। फैक्ट्री के इस पानी से नाले में सिल्ट जम गई है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत सिल्ट के बीच में पानी निकासी के लिए थोड़ा सा रास्ता बना दिया गया है, जिससे पानी स्टेट हाइवे को पार करता हुआ नर्मदा नदी तक पहुंच रहा है। मामले में प्रदूषण विभाग की दलील है कि फैक्ट्री में पानी का काम नहीं है लेकिन यदि उससे नर्मदा प्रदूषित हो रही है तो इस पर कार्रवाई की जाएगी।
जबलपुर. नागपुर हाइवे पर चूल्हा गोलाई के आगे गौर हाइवे मार्ग नागपुर रोड को जोड़ता है। इस मार्ग के नुक्कड़ पर पटाखा फैक्ट्री है। इस फैक्ट्री में फुलझड़ी बनाई जाती है। हाइवे बनने के दौरान यह फैक्ट्री सडक़ से मात्र बीस फीट पर है। फैक्ट्री के बाजू से एक सडक़ है, जो गांव की ओर जाती है।
फैक्ट्री से निकल रहा सफेद पानी
फैक्ट्री से सफेद रंग का पानी निकल रहा है, जिससे फैक्ट्री के किनारे की नाली ने नाले का रूप ले लिया है। यह नाला मंगेली होते हुए स्टेट हाइवे पार करता है। इसके बाद यह सीधे नर्मदा नदी में गुरूद्वारा से पांच सौ फीट पर मिल रहा है। जानकारों का कहना है कि पानी का रंग सफेद होने की वजह से उसमें अशुद्धि मिलना जाहिर कर रहा है।
जम रही है सिल्ट
मौके पर हालत यह है कि नाली ने नाले का रूप ले लिया है। इसमें सिल्ट जम रही है। जानकार कहते हैं कि फैक्ट्री से निकलने वाला पानी शुरूआत में सफेद रंग का निकल रहा है और उसके बाद नाले में आकर सिल्ट का रूप ले रहा है, जो धीरे-धीरे ग्रे रंग का हो रहा है।
फैक्ट्री के किनारे जमी सिल्ट
फैक्ट्री के किनारे देसी शराब दुकान के पास नाले का भयावह रूप हो गया है। यहां नाला समझ नहीं नहीं आता है। नाले में सिल्ट जमी हुई है।हाइवे पुल पर तीन फीट सिल्ट काटी
स्टेट हाइवे के पुल पर पानी की निकासी के लिए तीन फीट सिल्ट काटी गई है, जिससे नाले का पानी आगे की ओर जा पा रहा है। मंगेली गांव में छोटे पुल की भी यही हालत हो गई है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि इस पानी से दुर्गंध आ रही है।
नर्मदा पहुंच रही नाले की पतली धार
नर्मदा स्थित गुरूद्वारा से मात्र पांच सौ फीट पर यह नाला आकर नदी से मिल रहा है। नाले की पतली धार नदी से मिल रही है। नाले के किनारे वनस्पति भी नहीं उग पा रही है। पानी का रंग काला नजर आ रहा है।
एक्सपर्ट ओपीनियन
रसायनयज्ञ प्रो. एचबी पालन के मुताबिक पटाखा फैक्ट्री से निकलने वाला पानी हानिकारक हो सकता है। इस पानी में कार्बाइड, पोटास भरी मिट्टी हो सकती है, जिससे यह निकासी के दौरान सिल्ट के रूप में जम रही है। नर्मदा में मिलने के दौरान कार्बाइड लोगों के लिए खतरनाक है। इससे कई बीमारियां हो सकती है।वर्जन
- पटाखा फैक्ट्री में पानी का काम नहीं होता है लेकिन फिर भी इसे दिखवाया जाएगा। इससे नर्मदा प्रभावित हो रही है।
आलोक जैन, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण विभाग