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YouTube and innovation : जेल में अपराधों की सजा काट रहे बंदियों के लिए अब यह केवल कारागार नहीं रह गया है, बल्कि सुधार गृह बन गया है। यहां न केवल उनके हुनर को निखारा जा रहा है, बल्कि उन्हें हुनरमंद व आत्मनिर्भर भी बनाया जा रहा है। नेताजी सुभाषचंद बोस केन्द्रीय जेल जबलपुर के बंदी अब पेवर ब्लॉक बनाने लगे हैं। उनके बनाए पेवर ब्लॉक परिसर में लगाए जा रहे हैं। यही नहीं वे परिसर को सुंदर बनाने के लिए थीम पार्क भी तैयार कर रहे हैं, जो नए साल तक बनकर तैयार हो जाएगा।
उप जेल अधीक्षक मदन कमलेश ने बताया जेल परिसर में एक बैरक से दूसरे बैरक व अन्य स्थानों पर जाने वाले मार्ग हैं, जिनमें पीडब्ल्यूडी द्वारा पेवर ब्लॉक लगवाए जा रहे थे। इसी बीच विचार आया कि इसे बंदियों द्वारा भी बनवाया जा सकता है। इससे उनके हाथों को हुनर मिलेगा और साथ में वे आत्मनिर्भर भी बन सकेंगे। इसके लिए पेवर ब्लॉक बनाने वाली इंडस्ट्री से संपर्क किया, फिर इसके सांचे दिल्ली से ऑनलाइन मंगवाए गए। मटेरियल आदि के बारे में निर्माण करने वालों से पूरी जानकारी एकत्रित की गई।
मदन कमलेश ने बताया पेवर ब्लॉक बनाने वाली मशीन को बाहर से खरीदने के बजाय हमारे यहां के बंदियों ने खुद इच्छा जाहिर की। उन्होंने यूट्यूूब पर मशीन के बारे में जानकारी ली और वीडियो देखकर खुद ही बना ली। वे इसमें सफल रहे और अब तक बंदियों द्वारा बनाए गए करीब 50 हजार पेवर ब्लॉक परिसर में लगा दिए गए हैं।
वरिष्ठ जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर के अनुसार पिछले चार महीने से पेवर ब्लॉक बनाने की ट्रायल चल रही है। इसे कमर्शियल तौर पर तैयार करने के लिए अनुमति चाहिए, जिसके लिए जेल मुख्यालय को पत्र भेज दिया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि फरवरी 2026 तक इसकी अनुमति मिल जाएगी। जिसके बाद इसका कमर्शियल उत्पादन भी शुरू हो जाएगा।
जेल परिसर के भीतर बंदियों द्वारा थीम पार्क तैयार किया जा रहा है। पहले चरण में कबाड़ से जुगाड़ बनाते हुए बंदियों ने सुंदर झरना तैयार किया है। जिसमें पूरी सामग्री कबाड़ की उपयोग की गई है। इस झरने में जाबालि ऋषि, पनिहारिन, मगरमच्छ, कछुआ, मछली की मूर्तियां भी बंदियों ने ही बनाई हैं। इसके अलावा करीब 15 फीट और दो 4-4 फीट ऊंचे डायनासोर भी तैयार किए जा रहे हैं। ये नए साल तक बनकर तैयार जाएंगे।
Updated on:
21 Dec 2025 11:54 am
Published on:
21 Dec 2025 11:53 am
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