बाहर से माल की आवक पर भी रोक नहीं है। ऐसे में भी कई चीजों के दाम मनमाने तरीके से बढ़ाए जा रहे हैं। थोक में कीमत भले थोड़ी कम हों रिटेल में तो बाजार में माल नहीं होने की बात कहकर तेल की ज्यादा कीमत ली जा रही है। इससे लोगों के सामने संकट खड़ा हो गया है। अधिकांश लोगों का काम-धंधा बंद है। ऊपर से महंगाई बढ़ रही है।
सभी प्रकार के तेल के दाम बढ़े: कोरोना कफ्र्यू से पहले सोयाबीन तेल की कीमत 120 से 125 रुपए तक थी लेकिन अब वह बढकऱ 160 रुपए तक हो गई है। सरसो तेल 180 रुपए, सूरजमुखी तेल 175 और मूंगफली का तेल भी 180 रुपए लीटर पहुंच गया है। यह भी प्रतिलीटर 20 से 25 रुपए का इजाफा हो गया है। तेल व्यापारियों ने बताया कि कंपनियों से उन्हें महंगा तेल मिल रहा है। इसका कोई पुख्ता कारण नहीं बताया जा रहा है। ऐसे में मुनाफाखोरी की बात भी सामने आने लगी है।
आवक बढ़ी फिर भी तेजी
इधर गेहूं और दाल की कीमतें भी कम नहीं हुई। जिले में गेहूं की बम्फर पैदावार हुई है। सरकारी खरीदी ही तकरीबन पांच लाख मीट्रिक टन के नजदीक पहुंच रही है। 2 से 3 लाख मीट्रिक टन की खरीदी व्यापारी सीधे किसानों से करते हैं। ऐसे में दामों में गिरावट आती है लेकिन अभी भी लोकमन गेहूं फुटकर में 22 से 23 सौ रुपए क्विंटल बिक रहा है। शरबती गेहूं भी 26 से 28 सौ रुपए क्विंटल हैं। वहीं राहर दाल भी 100 रुपए से नीचे नहीं है।