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क्राइम केस सुलझाने के लिए जबलपुर में नहीं अत्याधुनिक टेस्ट लैब 

फिंगर प्रिंट जैसी जांच के लिए भी दूसरे शहरों, राज्यों का मुंह देखना पड़ता है, इससे इन जांचों की रिपोर्ट देर से आती है, जो मुकदमों में देरी का सबब बनती है।

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praveen chaturvadi

Jan 16, 2017

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जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट की मुख्यपीठ होने के बावजूद संस्कारधानी कई अहम सुविधाओं से वंचित है, जिनका यहां होना अपराधों की जांच और लंबित मुकदमों के निराकरण के लिए जरूरी है। कई आपराधिक प्रकरणों की जांच लंबे अरसे तक इसलिए अटकी रहती है, क्योंकि विशेष जांच की व्यवस्था शहर में नहीं है। फिंगर प्रिंट जैसी जांच के लिए भी दूसरे शहरों, राज्यों का मुंह देखना पड़ता है। इससे इन जांचों की रिपोर्ट देर से आती है, जो मुकदमों में देरी का सबब बनती है।
ये जांचें नहीं होतीं
आपराधिक मामलों में महत्वपूर्ण फिंगर प्रिंट, मादक पदार्थ, डीएनए, लाई डिटेक्शन, नार्को टेस्ट व स्पेशल मेडिको लीगल जांचों की व्यवस्था जबलपुर में नहीं है। फिंगर प्रिंट व मादक पदार्थों से जुड़ी जांचें सागर स्थित एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी), ग्वालियर और पुलिस मुख्यालय भोपाल में होती हैं। इनकी रिपोर्ट आने में कई हफ्ते, कभी-कभी महीनों लग जाते हैं। न्यायालय में लंबित सिविल मुकदमों में फिंगर प्रिंट जांच की आवश्यकता होने पर सम्बंधित व्यक्ति को नागपुर, दिल्ली, कोलकाता या हैदराबाद जाना पड़ता है। इन जांचों की व्यवस्था शहर में करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर अभी तक कोई पहल नहीं की गई है।

जमानत अर्जियों का लग रहा अंबार
सागर में जांच के लिए भेजे जाने वाले नमूनों की अधिकता के चलते जांच रिपोर्ट आने में विलंब होता है। मेडिको लीगल ओपीनियन के लिए भेजे गए मामलों की रिपोर्ट आने में भी खासा समय लगता है। इससे निचली अदालतों में एेसे आरोपितों की जमानत अर्जियों का अंबार लग रहा है, जिनकी जांच रिपोर्ट लंबित है।

अनुभवहीनों की जांच पर सवाल
आपराधिक प्रकरणों में मेडिकल जांच की भूमिका अहम होती है। नियमानुसार इसकी जिम्मेदारी फॉरेंसिक साइंस में एमडी चिकित्सक को दी जानी चाहिए। जांच के दौरान पीडि़त व आरोपी के कपड़ों का फोटोग्राफ लिया जाना चाहिए, जो अहम साक्ष्य साबित हो सकता है। हकीकत इसके उलट है। आपराधिक मामलों के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों के बजाय एमबीबीएस चिकित्सक तैनात किए गए हैं, जो इस काम को जरूरी नहीं समझते।

किस मामले की जांच कहां
मामलाजांच शहर
अज्ञात व्यक्ति की पहचानडीएनए टेस्ट हैदराबाद, कोलकाता, दिल्ली
चोरी, डकैती व अन्य अपराधफिं गर प्रिंट सागर, भोपाल, नागपुर
शातिर अपराधियों से लाई डिटेक्शन हैदराबाद, नई दिल्ली
राज उगलवाने के लिए नार्को टेस्ट
कम्प्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक अपराध वॉइस, आईटी टेस्ट भोपाल, सागर
हिंसात्मक, प्रताडऩा के मामले मेडिको लीगल ओपीनियन भोपाल

इनका कहना है
अपराधों की जांच के आधुनिक संसाधन शहर में न होने से इन मामलों की जांच प्रभावित होती है। यह गंभीर विषय है।
अमित साहू, अधिवक्ता, एमपी हाईकोर्ट

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