आजादी के संघर्ष के बारे में बताते हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अवधेश प्रसाद शुक्ला ने बताया कि उन्हें इस महासंग्राम में सहभागिता निभाने का अवसर स्कूल के दिनों में मिला। वे कक्षा 5वीं के छात्र थे और साधूराम स्कूल जबलपुर में पढ़ाई करते थे। देश में अराजकता के माहौल के बीच राष्ट्रपिता गांधीजी की एक आवाज के साथ अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में पूरा देश उद्वेलित हो उठा था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शुक्ला ने भी अपने स्कूली छात्रों के साथ स्कूल में एकत्रित हो गए और अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे के साथ अंग्रेजों के कान खड़े कर दिए। इस बीच अंग्रेजी अफसरों के दल ने डंडे मारकर भीड़ हटाई, लेकिन वे डंडे व तमाचे खाकर भी उनके खिलाफ डटे रहे। इसी का प्रतिफल था कि उनके खिलाफ 12 वर्ष की उम्र में ही अंग्रेजों को गिरफ्तारी वारंट जारी करना पड़ा।