
government ordnance factories
जबलपुर। ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) का करीब 86 साल बाद विघटन होने पर अब शहर सहित देशभर की 41 आयुध निर्माणियों को सात निगम संचालित करेंगे। एक अक्टूबर से सभी निगम अस्तित्व में आ जाएंगे। जबलपुर की चारों आयुध निर्माणियों का नाम तो पूर्ववत रहेगा लेकिन अब संचालन इकाई ओएफबी की जगह संबंधित निगम होगा। सरकार के इस निर्णय का कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया है। वे एक अक्टूबर को काला दिवस मनाएंगे।
लागू होंगे नए नियम, कर्मचारी मनाएंगे काला दिवस
आज से निगम चलाएगा आयुध निर्माणियां
शहर में आयुध निर्माणियों का अपनी एक पहचान है। यह निर्माणियां रोजगार देने के मामले में सबसे बड़ा स्त्रोत रही हैं। पूर्व में गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ), आयुध निर्माणी खमरिया (ओएफके), वीकल फैक्ट्री जबलपुर (वीएफजे) और ग्रे आयरन फाउंड्री (जीआइएफ) में 40 से 50 हजार कर्मचारी कार्यरत थे। ओएफके का क्षेत्रफल तो एशिया के सबसे बड़े इस्टेट में शुमार था। वर्तमान में सभी निर्माणियों में करीब 15 हजार अधिकारी एवं कर्मचारी हैं। 30 सितंबर तक यह कर्मचारी आयुध निर्माणी बोर्ड के थे।
रात में बदले गए पुराने बोर्ड- इस बीच शहर की चारों आयुध निर्माणियों के पुराने नामों के बोर्ड को गुरुवार रात बदल दिया गया। रक्षा मंत्रालय की तरफ से निर्देश दिए गए हैं कि गुरुवार रात बारह बजे के पहले पुराने बोर्ड को बदल दिया जाए। पहले यह आयुध निर्माणी बोर्ड की इकाई थीं, अब इनकी जगह संबंधित निगम का नाम लिख दिया गया है। इसी प्रकार अशोक चिन्ह भी हटा दिया गया। हालांकि यह रक्षा मंत्रालय का उपक्रम रहेंगी। इनमें कार्यरत सभी कर्मचारी दो साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर रहेंगे।
अस्पताल और स्कूल सरप्लस- आयुध निर्माणियों के इस्टेट में संचालित अस्पताल और स्कूलों को रक्षा मंत्रालय ने सरप्लस माना है। इन्हें या तो दूसरी जगह मर्ज किया जा सकता है या किसी संस्था को दिया जा सकता है। रक्षा मंत्रालय के डिफेंस प्रोडक्शन विभाग की ओर से हाल ही में सर्कुलर जारी किया गया है। इसमें सातों डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (डीपीएसयू) के नाम के अलावा उनमें स्थानांतरित होने वाली आयुध निर्माणियों के नाम भी शामिल हैं। शहर की चारों आयुध निर्माणियां चार अलग-अलग डीपीएसयू के अंतर्गत काम करेंगी। गैर उत्पादन इकाइयों को भी इन्हीं डीपीएसयू के अंतर्गत मर्ज किया जाएगा। जबलपुर से ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज इंस्टीट्यूट ऑफ लर्निंग खमरिया को म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड में शामिल किया गया है।
इनकी अधोसंरचना होगी ट्रांसफर- आयुध निर्माणियों के अस्पताल और स्कूल की अधोसंरचना के साथ ही अतिरिक्त भूमि का ट्रांसफर किया जाएगा। जबलपुर सहित देशभर की 16 आयुध निर्माणियों में 3152 एकड़ से अधिक सरप्लस जमीन चिह्नित की गई है। इसके लिए डायरेक्टे्रट ऑफ ऑर्डनेंस बनाया गया है। इसमें जबलपुर की आयुध निर्माणियों के अस्पताल और स्कूल भी शामिल हैं। ओएफके, जीसीएफ और वीएफजे के अपने अस्पताल और स्कूल हैं। अस्पतालों में 30 से अधिक डॉक्टर और करीब 150 पैरामेडिकल स्टाफ है। स्कूलों में बड़ी संख्या में शिक्षक हैं। सूत्रों के अनुसार शिक्षकों को सेंट्रल स्कूल में मर्ज किया जा सकता है।
नहीं बचा पाए 200 साल का इतिहास- इस निर्णय से कर्मचारी संगठनों में भारी आक्रोश है। उनका कहना था कि सरकार 200 साल पुरानी आयुध निर्माणियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। सुरक्षा कर्मचारी महासंघ एवं इंटक के द्वारा शुक्रवार को निगमीकरण के खिलाफ शोक दिवस मनाया जाएगा। संगठन के जयमूर्ति मिश्रा, अरुण दुबे, आनंद शर्मा का कहना है कि ओएफबी को भंग किया जा चुका है। सरकार एकतरफा काम कर रही है। निगमीकरण को लेकर वह कर्मचारी संगठनों की बात ही नहीं सुन रही है। इसी प्रकार बीपीएमएस, आइएनडीडब्ल्यूएफ और एआइडीइएफ से जुड़ी यूनियनें इसका विरोध करती आ रही है।
अधिकारी करेंगे लंच का बहिष्कार- इस निर्णय को लेकर इंडियन ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज सर्विस ऑफिसर एसोसिएशन शुक्रवार को लंच का बहिष्कार करेगी। इसमें शहर में स्थित आयुध निर्माणियों के अधिकारी भी शामिल होंगे।
एक अक्टूबर से आयुध निर्माणियां नवगठित निगमों के तहत संचालित होंगी। निर्माणियों का भविष्य अच्छा है। इनका स्वरूप बदला है, लेकिन कामकाज पूर्व की तरह होगा। कर्मचारियों की सेवा शर्तों में भी कोई परिवर्तन नहीं होगा, ऐसा सरकार पहले ही कह चुकी है। इसी तरह इन निर्माणियों के नामों में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
- रविकांत, सीएमडी म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड, पुणे
Published on:
01 Oct 2021 11:47 am
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