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सीसीटीवी कैमरे की नजर में होगी प्रदेश के सभी जिला अदालतों की कार्रवाई

न्याय होना ही नहीं चाहिए, होते हुए दिखना भी चाहिए। विधि जगत के इस सुप्रतिष्ठित सिद्धांत को हाईकोर्ट साकार रूप देने जा रहा है।

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praveen chaturvadi

Jan 12, 2017

Highcourt sent contempt notice,Commissioner,PS,bho

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जबलपुर। न्याय होना ही नहीं चाहिए, होते हुए दिखना भी चाहिए। विधि जगत के इस सुप्रतिष्ठित सिद्धांत को हाईकोर्ट साकार रूप देने जा रहा है। सूबे की सभी जिला अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना तैयार हो चुकी है। राज्य सरकार ने योजना को वित्तीय वर्ष 2017-18 से लागू करने की बात कही है। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो एक साल के अंदर जिला अदालतों में क्या चल रहा है, यह पारदर्शी हो जाएगा।

यह हुआ अब तक
हाईकोर्ट के सूत्रों के अनुसार उज्जैन के एक वकील ने राज्य सरकार के विधि एवं विधायी कार्य विभाग को एक पत्र लिख कर जिला अदालत परिसरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की मांग की थी। इस पत्र को आधार बना कर सरकार ने मप्र हाईक ोर्ट को इस संबंध में डीपीआर तैयार करने का जिम्मा सौंपा था। हाईकोर्ट द्वारा इस विषय में सैद्धांतिक सहमति जताई गई। इसके बाद प्रदेश सरकार को विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर भेजी गई।

कुछ पेंच भी बाकी
वीडियो रिकॉर्डिंग की प्रमाणित प्रति प्राप्त करने का किसे अधिकार होगा, किसे नहीं इस संबंध में अभी नियम नहीं बनाए गए हैं। लिहाजा इस बात पर अभी असमंजस बरकरार है। इस संबंध में नियम बनने के बाद ही कुछ निर्धारित हो सकेगा।


इस पंचवर्षीय योजना में नहीं
हाईकोर्ट द्वारा भेजे गए डीपीआर पर विधि विभाग व सरकार ने विचार करने के बाद हाईकोर्ट को जवाबी पत्र भेजा है। 10 जनवरी को हाईकोर्ट पहुंचे पत्र में कहा गया है कि प्रस्ताव में कुछ विलंब के चलते इसे बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) में शाामिल नहीं किया जा सकता। जानकारी के अनुसार सरकार के पत्र में कहा गया है कि अगली पंचवर्षीय योजना (2017-2022) में इस प्रस्ताव को शामिल किया जाएगा।

यह है योजना
-जिला अदालतों में हर कोर्ट रूम, गलियारों व कैंपस में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इनके साथ ऑडियो रिकार्डिंग की भी व्यवस्था होगी।
-कोर्ट रूम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए भी व्यवस्था की जाएगी।
हाईकोर्ट इस पूरी प्रक्रिया की मॉनीटरिंग करेगा।

इनका कहना है
राज्य सरकार ने डीपीआर के जवाब में भेजे पत्र में प्रस्ताव को अगली पंचवर्षीय योजना में शामिल करने की बात कही है। योजना जनहित में है।
- मनोहर ममतानी, रजिस्ट्रार जनरल, मप्र हाईकोर्ट

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