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हमें रंज नहीं है कि राजनीतिक महत्व नहीं मिला, अमूल्य विरासत-ऐतिहासिक इमारतें खुद गा रही हैं मेरा गौरवगान

locationजबलपुरPublished: Nov 01, 2020 07:10:10 pm

Submitted by:

shyam bihari

जबलपुर में हाइकोर्ट, मेडिकल कॉलेज, कलेक्ट्रेट के भवन सीना तान कर खड़े
 
 

Jabalpur High Court

Jabalpur High Court

जबलपुर। मप्र बनने के साथ जबलपुर में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा व प्रशासन के केंद्र बनाए गए चार महत्वपूर्ण भवन राज्य की स्थापना के गवाह हैं। ये सभी भवन अपने इतिहास के साथ ही शानदार वर्तमान की गौरवगाथा भी सहेजे हुए हैं। आज भी ये भवन उतनी ही शान से खड़े हैं और जनमानस की पूरी शिद्दत के साथ सेवा में जुटे हैं। शहर के नागरिकों के लिए भी ये भवन गर्व का विषय हैं।

ऐतिहासिक इमारत : मध्य प्रदेश गठन के पूर्व सीपी एंड बरार प्रोवींस का हाईकोर्ट नागपुर में था। हाईकोर्ट की वर्तमान इमारत में कलेक्ट्रेट और ट्रेजरी की साथ एसपी कार्यालय भी था। परिसर बग्घियों, तांगों, घोड़ों से भरा रहता था। उस जमाने में कई पक्षकार बैलगाडिय़ों से आते थे। नए मध्य प्रदेश की स्थापना के पूर्व जबलपुर में हाईकोर्ट के लिए जगह की खोज शुरू हुई। रंग महल, शहीद स्मारक परिसर समेत कई स्थान देखे गए, लेकिन पहले चीफ जस्टिस एम. हिदायतउल्ला की नजर हाईकोर्ट की वर्तमान इमारत पर ठहर गई। इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इमारत के मालिक स्व. सेठ गोविंददास के परिजन से बात की। वे इमारत को हाईकोर्ट के लिए देने के लिए खुशी-खुशी राजी हो गए। इसके बाद यहां कलेक्ट्रेट, ट्रेजरी व एसपी कार्यालय को अन्यत्र स्थानांतरित किया गया। फिर यहां एक नवम्बर 1956 को प्रदेश के न्याय मंदिर की नींव रखी गई। एक दशक पूर्व इस इमारत में नार्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक का निर्माण किया गया। इसे हू-ब-हू बनाने में इंजीनियरों को महीनों लग गए। आज भी यह शहर की सबसे सुंदर और मजबूत इमारतों में शुमार है।
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय : वर्तमान रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का गठन और स्थापना 12 जून 1956 को हुई। सात जून 1983 को विश्वविद्यालय का नाम बदलकर, गढ़ मंडला की वीरांगना रानी के सम्मान में रानी दुर्गावती विश्व विद्यालय रखा गया। बाद में इसके अधिकार क्षेत्र में जबलपुर, मंडला, सिवनी, बालाघाट और नरसिंहपुर, कटनी, डिंडोरी, छिंदवाड़ा जिले भी शामिल किए गए। विश्वविद्यालय परिसर 99.63 एकड़ प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरण के अनुकूल परिवेश में फैला है। यहां एक प्रशासनिक ब्लॉक, कला संकाय भवन, भौतिकी, रसायन विज्ञान, गणित, जैव विज्ञान, प्रणाली विज्ञान और शारीरिक शिक्षा विभागों के शिक्षण और अनुसंधान भवन आदि स्थित है। इसमें एक केंद्रीय पुस्तकालय, कम्प्यूटर सेंटर, यूएसआइसी, प्रबंधन संस्थान विश्वविद्यालय, विधि विभाग विश्वविद्यालय और अन्य सुविधाएं जैसे लड़कों और लडिकियों के हॉस्टल, यूनिवर्सिटी हेल्थ सेंटर, यूनिवर्सिटी गेस्ट हाउस, कैंटीन और आवासीय क्वार्टर बने हैं।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज : नेताजी सुभाष चंद्र बोस चिकित्सा महाविद्यालय (जबलपुर मेडिकल कॉलेज) राज्य का दूसरा सबसे पुराना मेडिकल कॉलेज है। इसकी स्थापना 1955 में गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज जबलपुर के रूप में हुई थी। दाखिला पूर्व-चिकित्सा प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होता है और वर्तमान कक्षा का आकार प्रति वर्ष 150 छात्रों का होता है। इसके परिसर में एक पूर्ण सेवा चिकित्सा अस्पताल है । यह महाकोशल अंचल का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल और कॉलेज का मुख्य शिक्षण अस्पताल है। कॉलेज को पोस्ट ग्रेजुएट और सबस्पेशलिटी मेडिकल एजुकेशन के लिए भी मान्यता प्राप्त है। इसका नाम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रमुख नेता, नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नाम पर रखा गया है।
कलेक्ट्रेट भवन : 1960 के दशक में कलेक्ट्रेट भवन का निर्माण किया गया था। इसके बाद कलेक्ट्रेट परिसर में खास निर्माण कार्य देखने को नहीं मिला। वर्तमान में कलेक्ट्रेट भवन को हाईटेक करने के प्रयास कर सभी कमरों को नए सिरे से बनाया गया। भवन को नए सिरे से डेवलप करने से जुड़े काम किए। उद्यान विकसित करने के अलावा लोगों को बेहतर सुविधा देने वाले कार्यों को पूरा कराया। भवन निर्माण के बाद से ही जबलपुर की तहसीलों के कार्यालय भी इसी इमारत में संचालित होते आ रहे हैं।

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